सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:स्टालिन.djvu/३९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
      • )

[भदचीस भान्दोलन आरम्भ होगया। इनमें से पांच व्यक्तियों की एक कमेटी बनाई गई, जिन्होंने इन लोगों को हड़ताल करने पर उकसाया। रूसी पुलिस ने पहले किसी अवसर पर भी ऐसी हड्तानों में हस्तक्षेप नहीं किया था। अतः उसकी ओर से किसी प्रकार का भय न था। थोड़े समय में ही उनके प्रचार ने इतना विराट रूप धारण कर लिया कि वह हड़ताल की तिथि नियत करने में सफल होगये। इन्हीं दिनों एक दुर्बल नवयुवकहर समय इस बाजार की अंधेरी गलियों में फिरता देखा जाता था। उसका कार्य यह था कि जिन लोगों को अभी तक हड़ताल में सम्मलित होने में मिझक होती थी, वह उनकी विविध शकाओं का निवारण कर उनका सह- योग प्राप्त करता था। कर्मचारियों को इसका असली नाम ज्ञात न था। अत: वह इसे भो अन्य की भान्ति 'सोसो' ही कहते थे। यह बात विशेष तौर पर वर्णन योग्य है कि जोजेफ ने जो नाम अपने लिये क्रांति के समय में पसन्द किया वह उसके बाल्यकाल का सर्वप्रिय नाम था। नियत समय पर हड़ताल हो गई। श्रारम्भ में ऐसा जान पड़ता था कि वह नहीं चल सकेगी। बीस हजार कर्मचारियों में से केवल माधों ने इसमें भाग लिया। मान्दोलन के नेता ने निश्शंक होकर हड़ताल का विरोध करने वानों से वही सलूक किया जो दीर्घकाल तक संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में बरता गया। जिस दूकान में ऐसे कर्मचारी मौजूद होते थे, जो हड़ताल में सम्मलित न होते थे। उनके सामने दस नवयुवकों की टोली जाकर खड़ी हो जाती और दूकान के मालिक से कहती, "यदि तुम दुकान बन्द न करोगे तो हम तुम्हारा सारा माल बर्बाद कर देंगे।" भयभीत व्यापारी भनी प्रकार जानता था कि उसके मूल्यवान चीनो-कपड़े एवं हिन्दु- स्वानी मसाले थोड़े से तेल या पैटौल से शीघ्र ही खराब किये