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पृष्ठ:स्टालिन.djvu/७३

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बल्गेरिया को सुसज्जित सेनाएं तैनात थी । यदि लेनिन और उसके साथी उस रास्ते से माना चाहते ता उनके लिए भाव. श्यक था कि वह जमेनो के जर्नेलो अफसरों से प्रवेशाज्ञा प्राप्त करें। अब रह गया रूस में माने का दूसरा मार्ग। उस पर ब्रिटेन और फ्रांस को सेनाएं कब्जा किये बैठी थीं। इन दिनों लेनिन और उसके साथियों के जीवन का प्रत्येक क्षण चिन्ता और उद्विग्नता में गुजरता था। वह जानते थे कि यदि हम ठीक समय पर देश के अंदर न पहुँचे और मध्यम श्रेणि की क्रांति~जो प्रारम्भ हो चुकी है-अलिष्ट हो गई तो फिर उनकी सोची हुई क्रांति-आयोजना अनिश्चित समय के लिये स्थगित हो जावेगी। इस दशा में उनके लिये यथाशीघ्र रूस पहुँचना आवश्यक था। परन्तु कठिनाई भी तो यही थी कि वह वहां कैसे और किस मार्ग से पहुँचे। लेनिन के साथियों ने सर्वप्रथम इस बात का पता लगाना भारम्भ किया कि क्या ब्रिटेन और फ्रांस उनको गुजरने की अनुमति देगे? किन्तु उनको पता लगा कि उधर से कुछ भी भाशा नहीं की जा सकती। वास्तविकता यह है कि ब्रिटेन और फ्रांस कैरनस्की को सरकार के साथ अपने सम्बंधों से पूर्णतः संतुष्ट थे। उनका विश्वास दिलाया गया था कि काति की सूरत में भी रूस अपनो सहायता को प्रतिक्षा को पूर्ण करता रहेगा। अर्थात् वह मित्रराष्ट्रा क साथ २ माध्यमिक श्रेणियों के विरुद्ध संघर्ष जारी रखने को तय्यार था। अतः मित्र राष्ट्रों को इच्छा यह थी कि लेनिन की पार्टी के भादमी स्वीजनेंड से बाहिर न पाने पावें। वहीं बैठे अपना समय गुजारते रहें। यदि वह किसी प्रकार रूस जा पहुंचे तो कैरनिस्को के वर्तमान शासन को सत्ता को छिन्न- मिन बरना बनके लिये कठिन न होगा। अतः इस भोर से