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पृष्ठ:स्टालिन.djvu/८४

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विरासी] [ *** और सर्वप्रिय वृद्ध क्रांतिकारियों के होने पर भी लेनिन की दृष्टि उन पर न गई, यद्यपि वह उत्तम ढंग से लेनिन के रिक्त स्थान की पूर्ति कर सकते थे। इस हस्तलेख में कुछ पंक्तियां ऐसी हैं जिनके अध्ययन से यह बात सिद्ध होती है कि राज- नीतिक क्षेत्र में लेनिन कितना दूर-दर्शी था। उसने एक स्थान पर लिखा है, "इन दोनों व्यक्तिया के पारस्पिक संबन्ध दल में भयानक फूट उत्पन्न करने का कारण बन सकते हैं।" जिस दिन लेनिन की मृत्यु हुई उससे अगले दिन हो उसकी विधवा पत्नी ने लेनिन का छोड़ा हुआ बसीयतनामा केन्द्रीय समिति को दे दिया। स्टालिन इस समय साम्यवादी दन की केन्द्रीय कमेटी का विश्वासनीय सदस्य था। जो लोग रूसी नियमां से भली भांति परिचित नहीं हैं। सम्भव है वह इस पद को महत्व पूर्ण न समझे, किन्तु वास्तविक स्थिति यह है कि रूस के राजनीतिक नियमों के आधीन जो व्यक्ति इस पद पर नियुक्त होता है वह महत्वपूर्ण अधिकार रखता है। लेनिन का वसीयतनामा स्टालिन ने ही पढ़ कर सुनाया। पत्र को पढ़ते हुए जब वह उस स्थल पर पहुंचा जहां ट्रॉदरको का उल्लेख था। तो उस समय उसने निम्न वाक्य पर असाधारण बल दिया- "यह कोई प्रसंग की बात नहीं है कि हमारो श्रेणि में सम्मिलित होने से पूर्व ट्रॉट्स्को बोल्शेविक नहों, अपितु मेन- शेविक था।" ट्रॉदस्को ने जिस समय यह वाक्य सुना तो वह चौंक उठा और बात काटते हुए बोला, “यदि कष्ट न हो तो इस वाक्य को पुनः पढ़ कर सुनाइये।" स्टालिन ने लेनिन-लिखित वह वाक्य फिर एक बार उच्च स्वर से पढ़ा और प्रत्येक शन पर पर्याप्त बल दिया। सभी अवाकू रह गए। कोई शब्द उसे काटने को सुनाई