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पांचवां अध्याय ।

सम्बन्ध न हो, तो उसे उस काम को करने देना मुनासिब जरूर है । पर ऐसे काम को अप्रत्यक्ष रीति से प्रतिबन्ध करना गवर्नमेंट के लिए उचित है चा नहीं ? उदाहरण के लिए, शराब पीकर मतवाले होने के साधनों को कम करने या शराब बेचने की दुकानों की संख्या कम करके शरावियों के लिए उसका मिलना कुछ कठिन कर देने, के उपायों की योजना करना गव- नमेंट को उचित है या नहीं ? और अनेक व्यावहारिक प्रश्नों की तरह इस प्रश्न के भी बहुत से भेद किये जाने की जरूरत है। नशे की चीजों पर इस मतलब से अधिक कर, अर्थात् टेक्स लगा देना कि उनके मिलने में लोगों को कठिनता पड़े, एक ऐसी बात है जो ऐली चीजों की बिक्री को बिलकुल ही बन्द कर देने से थोड़ी ही भिन्न है । इन दोनों बातों में बहुत कम फरक है । अतएव, यदि ऐसी चीजों की बिक्री बिलकुल ही बन्द कर देना उचित माना जायगा तो कर लगाना भी उचित माना जायगा अन्यथा नहीं। जिन चीज की कीमत जितनी अधिक बढ़ा दी जायगी उतनी ही अधिक मानो उन लोगों के लिए वह मनाई का काम देगी जो उसे उतनी कीमत देकर, लेनेका सामर्थ्य नहीं रखते । परन्तु जो उसे उतनी कीमत देकर भी लेने का सामर्थ्य रखते हैं उनको अपनी इच्छा तप्त करने के लिए मानो रतना दण्ड अर्थात् जुरमाना देना पड़ेगा । समाज और व्यक्ति से सम्बन्ध रखनेवाले कुछ कर्तव्य ऐसे हैं जिनका पालन करना कानून और नीति के अनुसार हर आदमी का धर्म है। इन कर्तव्यों को पूरा करने के वाद हर आदमी को इस बात का हक है कि अपनी बची हुई आमदनी को अपने साराम के लिए वह जिस तरह और चाहे जिस काम में खर्च करे । इन दलीलों को सुनकर दिना अच्छी तरह विचार किये शायद कोई यह कहे कि भासदनी बढ़ाने के लिए नशे की चीजों पर अधिक कर लगाना अनुचित है। पर यह बात याद रखना चाहिए कि सरकारी आमदनी बढ़ाने की जरूरत शोने पर बिना बार बढ़ाये काम ही नहीं चल सकता । आमदनी बढ़ाने का एक. मात्र यही उपाय है। बहुत से देशों में जो कर लगाया जाता है उसके अधिक भाग को, अप्रत्यक्ष रीति से, वसूल करने की जरूरत पड़ती है । अत. एट हाने पीने की भी कुछ चीजों पर गवर्नमेंट को लाचार हो कर कर लगा- र ना पड़ता है। इस कारण, ऐसी चीजों के उपयोग की थोड़ी बहुत प्रतिवन्ध- । कता जरूर हो जाती है । अर्थात् कीमत बढ़ जाने से कुछ आदमी ऐसी चीजें