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पृष्ठ:हड़ताल.djvu/१६०

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अङ्क २]
[दृश्य २
हड़ताल

इवैन्स

जो हम झेल सकते हैं वह औरतें भी झेल सकती हैं, या इस में कोई सन्देह है?

लोहार

घर में स्त्री नहीं है न?

इवैन्स

चाहता भी नहीं।

टॉमस

[ऊँचे स्वर से]

भाइयो, हमें यह अख़तियार दो कि लंदन शे शमझौता कर सकें।

डेवीज़

[साँवला, सुस्त और उदास]

मंच पर चढ़ जाव। अगर तुम्हें कुछ कहना है तो मंच पर चढ़ कर कहो।

["टामस" का शोर मच जाता है। लोग उसे ढकेल कर मंच की तरफ़ लाते है। वह ज़ोर लगा कर उस

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