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पृष्ठ:हड़ताल.djvu/२०१

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अङ्क ३]
[दृश्य १
हड़ताल

आधार हैं। अगर वह राजी न हुए, और उन्हें हार माननी पड़ी, तो उनकी कमर ही टूट जायगी।

एडगार

तुम्हीं ने तो कहा है कि आदमियों को इस दशा में देख कर बड़ा दुःख होता है।

एनिड

लेकिन यह भी तो सोचो, टेड, कि दादा से यह चोट सही न जायगी। तुम्हें किसी तरह उन लोगों को रोकना चाहिए। और सब उनसे डरते हैं। अगर तुम उन की तरफ़ हो जाव तो कोई उन का कुछ नहीं कर सकता।

एडगार

[माथे पर हाथ रखकर]

अपने धर्म के विरुद्ध तुम्हारे धर्म के विरुद्ध! ज्यों ही अपनी बात आ जाती है-

एनिड

यह अपनी बात नहीं है, दादा की बात है।

१९२