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पृष्ठ:हड़ताल.djvu/२०७

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अङ्क ३]
[दृश्य १
हड़ताल

ऐंथ्वनी

[उदास मुसकुराहट के साथ]

मैदान छोड़कर भाग जाऊँ।

एनिड

लेकिन उन लोगों का बहुमत हो जायगा।

ऐंथ्वनी

[दरवाज़े पर हाथ रखकर]

यही तो देखना है।

एनिड

मैं आप के पैरों पड़ती हूँ, दादा।

[ऐंथ्वनी उस की ओर प्यार से देखता है]

वहां न जाइएगा।

[ऐंथ्वनी सिर हिलाता है। वह दरवाज़ा खोलता है। आवाज़ों की भिनभिनाहट सुनाई देती है।]

१९८