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पृष्ठ:हड़ताल.djvu/२६३

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अङ्क ३]
[दृश्य १
हड़ताल

काम पर आयेंगे जब तक हमारी सब शर्त न मान लो जायेंगी।

[ऐथ्वनी उसकी भोर ताकता है लेकिन बोलता नहीं। मज़दूरों में हलचल होती है जैसे सत्र घबरा गए हों।]

हार्निस

रॉबर्ट!

रॉबर्ट

[उसकी अोर क्रोध से देखकर फिर ऐं थ्वनी से]

अब तो आप साफ-साफ समझ गए। क्या यह साफ और सीधा जवाब है! आप का यह सोचना ग़लत था कि हम घुटने टेक देंगे। आप देह पर विजय पा सकते हैं लेकिन आत्मा पर विजय नहीं पा सकते। आप लंदन लौट जायें, आदमियों को आप से कुछ नहीं कहना है।

[दुविधे से ज़रा रुक कर वह स्थिर ऐंथ्वनी की ओर एक क़दम बढ़ता है]

एडगार

रॉबर्ट, हम सब तुम्हारे लिए दुखी हैं। लेकिन-

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