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पृष्ठ:हड़ताल.djvu/५०

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अङ्क १]
[दृश्य १
हड़ताल

हार्निस

[घूमकर व्यंग से]

अगर यह बात ठीक होती तो मैं उन्हें समझा सकता था।

वाइल्डर

देखो हार्निस, तुम बुद्धिमान हो और साम्यवादियों के उन गोरखधंधों को नहीं मानते जिनकी आजकल धूम मची हुई है। उनके और हमारे दिल में ज़रा भी अन्तर नहीं है।

हार्निस

मैं आप से एक बहुत सीधा सादा, छोटा सा प्रश्न करता हूँ। आप मजूरों को उस से एक कौड़ी भी ज्यादा देंगे जितना आपको लाचार होकर देना पड़ेगा?

[वाइल्डर चुप रहता है]

वैंकलिन

[उसी स्वर में]

मेरा तुच्छ विचार तो यह है कि आदमियों को उतनी ही मज़दूरी देना जितना ज़रूरी हो, वाणिज्य का क, ख, ग, है।

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