पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१३८

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f (ay) मकिरनाप-जमनास पता लि. का भक्ति मुमिग्निी-बैनराप लामिका० ० स.पि भक्ति का प्रमाव पानादेखो १८५, दि० मकोका यना.(६-४३) (-२४) पतितुरिया साहब लामिक का० स० भक्ति मय र स्तोप-प्रप्नि त सिका १८५६ विभागोपदेश । ० (-11डी) समि० दारा तथा गुरुमकि- मगम-बम विषय में धमीजात नहीं। वर्णन 10(7-३४) भगत बाली (20) पक्कि मावधी-प्रपत्र गरोशामरा, नि.का. समिरमठि और बाल वर्गान। मगन चालीसा-गगत कलि का. स. दे०(ब-१२) RE: वि० मौकी गामायनी। ० (-२०) पछि-मग दीपिका-महाराज सावसिा प० | भगवतराय पी पिरुगाली-गोपाल कदि भागरीबासस्य निकास.10पिक कना निका००वि० रामा भान मदमा मचि के लक्षण प्रालिका वर्मन । १० राम खीची मोर समाती का युग-वन । दे०(3-25) भक्ति पारम्प-गिरधारी ना मि०110 से भगधराप खीची-१० १७२७ के जगमग वि०मति की महिमा का बल दे० पर्तमान, भसापर (फतेहपुर) के जागीरवार, समाला से हमका पुरमा था मुखदेष यक्ति विरदारसी-प्रभासन, वि. भक्तों मि पर गापाक्ष कपि के माध्यदाता की प्रशंसा का वर्षन । दे० (-1) २० (-)-) भक्ति शक्ति का मगरा-कप्रिल) मि. फा सजिप, सि.१० म०७४, मगर गीता--प्रपनामपरमामा बोचा मानन मि. काम्सालिका वि.कि और पंव मठों का मगशा० (ग-१) १५ पिस भगयत गीता का अनुपान । मक्तिमार-माहाराम सावसर्सिद (उप० नागरी (प.)(क-२२७) हास व नि० का संa tu TO मगर गीन-अम स्याम कल कि० का १० प्रारिमधामकारप्पन (ए-N) १७६२, वि० सम्ण मौरमाणुन कार्सपाव पात भक्ति शान-भूपनारायण सिंह कथा लि. गीता का अनुशार । दे० (-२) का विकाकी श्री की बबुमा । मगपत मीना--हरिलास रुप लि. का. सक ६०(ज-२६) २४ वि. सरत गीता का मनुवाद। देव पति पिदासपरिण-रसिकदास व पिक (9-144) मकि मि मिनी गणेन । ६० यगवत गीता-इरियासमत, जि. का.स. I WIERT) P१८ सर्गति का लिano Rome 1