पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/९९

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[ ६६ ] कधि के पुत्र, जाति के सनाच्य ब्राहाण थे। विश्वनाथ नवरन दे० (-४), दे० (च-६०) चकोर पचक दे० (ङ-७१) दास कवि-सं० १७६१ के लगभग वर्तमान, दृष्टांत तरगिनी दे० (ट-७७) (ज-७४ ५) प्रतापगढ़ निवासी जान पड़ते है। पाशी पचान दे० (-१) रससार दे० (घ-४५) दीप पचक दे० (ट-६२) दास कवि-पूरा नाम दलसिन उप० दास है, प्रतापिका दे० (ड-88) अनुमानतः सं० ११० के लगभग वर्तमान, वैराग्य दिनेश दे० (ज-७५ वी) पटियाला नरेश महाराज नरेद्रनाथ सिंह अनुराग चाग दे० (ड-४०) के आश्रित। दीनदास-इनके विषय में कुछ भी बात नहीं । केदार पथ प्रकाश दे० (घ-१०६) गोकुल काह दे० (छ-१६.) दलसिंघानद पकास दे० (घ-११०), दीनानाथ-इनके विषय में कुछ भी शात नहीं; दास मनोहरनाथ-कवि गुरुदीन के गुरु: ये दीनानाथ मोटर (फतेहपुर) घाले से भिन्न हैं। इनके विषय में और कुछ ज्ञात नहीं । दे० भक्त मंजरी दे० (ज-७५) (च-२४) दीनानाथ----लक्ष्मीनाथ के पिता, बालकृष्ण के दिग्गज-सं० १७६६ के लगभग वर्तमान, महा. पुत्र; जाति के वोड़ा पुष्करणी ब्राह्मण, सं० राज उद्योतसिंह के पुत्र पृथ्वीसिंह दीवान १८८३ के पूर्व वर्तमान थे। दे० (ग-२१) दीपक पंचक-दीनदयाल गिरि कृत, वि० दीपक भारत विलास दे० (घ-३८) पर उत्प्रेक्षा । दे० (3-६३) दिग्विजय सिंह ( महाराज)-ये बलरामपुर दीपनारायण-फाशी नरेश महाराज उदितनारा- (गोडा) के राजा थे, सं० १४२५ के लगभग यण सिंह के लघु भ्राता: कवि ब्रह्मदत्त के वर्तमान, कधि दलपति राम, गोकुल, हुँघर श्राश्रयदाता, ल०१६६ के लगभग वर्तमान । राना जी, ललित और बंसीधर के श्राधय दे० (घ-४६) दाता । दे० (ज-५२) (ज-६५) (ज-परि०-३) दीप-प्रकाश-ब्रह्मदत्त कृत, नि० का० सं० १८६६; (२४-२५) लि० का० सं० १८६६, वि० नायिकाभेद । दे दिग्विजयसिंह-भिनगा (बहराइच ) के राजा (घ-४६) थे, जगतसिंह के पिता, स. १८५ के लगभग दीप साहि-गुमान कवि के भाई; सं० १८३८ के वर्तमान । दे० (ज-१२७) लगभग वर्तमान । दे० (च-२३) दीनदयाल गिरि-गोस्वामी; सं० १८७१ के दीरध-इनके विषय में कुछ भी ज्ञात नहीं। लगभग वर्तमान: काशी निवासी, शिव वसो वर्णन (दीरध पचीसी) दे० (ज-७६) भक्त थे। दीरथ पचीसी--अन्य नाम वशी घर्णन, कषि के आश्रित ।