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पृष्ठ:हिंदी कोविद रत्नमाला भाग 1.djvu/२०३

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( १९१ ) श्रीमती महारानी विमोरिया को दायामंड शुबिली के समय हने उक राजराजधरी का जीवनचरित संस्कृत में लिख कर समाज शारा दिलायत को भेजा था जिस पर इन्हें हाम डपार्टमेंट से धन्यवाद का परपाना मिला था। इस समय की परने से पाप कुछ दिनों से काता जोड़ कर मथुरा में रहने लगे हैं।