पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/१३३

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११-सामने के पृष्ठ पर उसी समय के बने हुए एक चित्र

को नक़ल है। नूरजहाँ अपने कमरे में बैठी है उस के सिर पर मुकुट और चेहरे पर बुरका़ है। पीछे एक लौएडी मोर्छल कर रही है। एक स्त्री उस से मिलने आई है वह उस के आगे बैठी है। सामने एक रण्डी नाच गा रही है और रण्डी के पीछे उस के मीरासीन डफ़ और बासूरी बजा रहे हैं। कुछ लौण्डियाँ थालियों में मिठाई ला रही हैं।

चित्र के ऊपर फरासी अक्षरों में "तस्वीर नूरजहाँ वेगम

बेटी ग़यास बेग एतमादुदौला" लिखा है।

१२ -नूरजहाँ बड़ी चतुर थी और उस के लिये कोई भी

काम कठिन न था। उसने फा़रसी के सारे काव्य पढ़ डाले थे और आप बहुत अच्छी कविता करती थी। वह हाथी पर चढ़ कर लड़ाई में सेना की कमान भी कर सकती थी और उस ने कई बार अपने पति के साथ शिकार में अपने हाथ से शेर मारे।

१३-यह प्रसिद्ध है कि उस ने सब से पहिले गुलाब का

अतर निकाला । उस के हम्मान में गुलाब के फूल भरे रहते थे। एक दिन उस ने देखा कि गुलाबों में से कुछ तेल सा निकल कर पानी के ऊपर तैर रहा है। यह अतर है जिस के बराबर हिन्दुस्थान में कोई सुगन्ध नहीं।

१४-जहाँगीर के दरबार का बहुत सा व्यौरा हम लोग जानते
है। वह कुछ करता था और जैसे रहता था सब