पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/२३८

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( २३० ) हरता था। उस मे वेलेजली की बात तुरन्त खीकार कर ली। एक शक्तिमान् सेना निजाम के नगर हैदराबाद को भेजी गई। तभी से सब निज़ामा अंग्रेजों के मित्र और सहायक रहे है और सबने निश्चिन्त होकर देश का शासन किया है। ८-टीपू सुलतान और महरठे भी वेलेजली की उस उत्तम नीति को मान लेते तो उन का भी मला होता और उन की सन्तान राज करती होती। -पर टीपू ने न भाना। वह अंग्रेजों से लड़ बैठा और लड़ाई में मारा गया। मैसूर राज्य फिर हिन्दू राजा को दे दिया गया और उस की सन्तान अब मैसूर में राज करती है। मैसूर के राजा लोग अंग्रेजों के सहायक और परम मित्र हैं। जो देश पुराने मैसूर पाज्य में न थे पर है और टीपू ने जीते थे उन को अंग्रेज़ों महरठों और निजाम ने बांट लिया। मद्रास प्रसीडेन्सी का वह भाग जो पश्चिम समुद्र के तट पर है और नीलगिरि पहाड़ के दक्षिण का कोयंबटूर ज़िला अंग्रेजों के हिस्से में आया। थोड़े ही दिन पीछे निज़ाम ने अपनी रक्षक सेना का खर्चा देने के बदले अपना हिस्सा लार्ड वेलेजली को आशा लेकर कम्पनी को सौंप दिया। इस भांति भैसूर और तुङ्गभद्रा नदी के बीच का देश जो समर्पित जिले कहलाते है और जिनमें विलारी और कड़ापा के जिले हैं अंग्रेजों के हाथ आये। - १०-तऔर का देश जिसके बीच में होकर कावेरी