पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/९३

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आया और यह कहा जाता है कि इसने जितने आदमी मारे उतने कमी किसी ने न मारे होंगे। ३---तुम लोग पढ़ चुके हो कि महमूद गजनवी, महम्मद शोरी और और बहुत से तुर्की राजा हिन्दुओं से लड़े पर तैमूरलङ्ग ने मुसलमान हिन्दू सक भार। यह देश लेना नहीं चाहता शान राज ही करना। यह मारना लूटना पसोटना ही जानता था। ४-यह निठुर तुर्क सरदार दिल्ली पर बड़ी सेना लेकर चढ़ राह में गाँव नगर सव जलाता गया। इस के इतने अन्दी थे कि इस के सिपाही उनकी रखवालीन कर सकते थे और यह उनको छोड़ना भी न चाहता था। तैमूरलङ्ग। सो इसने एक लाख के लगभग आदमी मरवा डाले। दिल्ली जीतने के पीछे यह अपने देश की ओर लौट गया और जो कुछ धन पड़ा साथ लेता था। ५---तैमूरलङ्ग केवल पांच महीने हिन्दुस्थान में रहा पर लोग उसको कभी न भूलेंगे। बहुत दिनों तक जब कभी कोई हिन्दू माता अपने बच्चे को डरवाना चाहती तो तैमूर का नाम लेती और कहती कि तुमको तैमूर पकड़ ले जायगा ।