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फ्रान्स
१९७
 


सर्वाधिकारी” पद ग्रहण किया। पेतॉ का सहकारी लावल बना। अन्य प्रभावशालियो मे बौदो, जनरल वेगॉ और बोनेत मुख्य थे। नया शासक-मण्डल फासिस्त निकला और पेतॉ हिटलर के हाथ की कठपुतली बन गया। निर्वाचित पालमेण्ट खत्म हुई और मनोनीत तथा नियुक्त सस्थाओ ने उसका स्थान लिया। नात्सी-विरोधी देशभक्तो पर मुक़दमे चलाये गये।

लावल, बौदो के बाद वैदेशिक मन्त्री बना था। १९४० के अन्तिम दिनो मे, पता चला कि, वह हिटलर के हाथ मे खेल रहा है और फ्रान्सीसी बेडे को जर्मनो के हाथ सौप देने और फ्रान्स को बरतानिया से लडा देने की कोशिश मे है। पेतॉ ने इसका विरोध किया और ४ दिसम्बर '४० को, मन्त्रिमण्डल की बैठक के समय, लावल हिरासत में ले लिया गया और पेतॉ का उत्तराधिकार, नायबी और वैदेशिक मत्रित्व पद लावल से ले लिये गये। चार दिन बाद जर्मन-हस्तक्षेप द्वारा उसकी रिहाई हुई। उसका स्थान पहले फ्लेन्दिन और बाद को दार्लो को मिला। ९ फरवरी '४१ को नौ-सेनापति दार्लो एक साथ प्रधान मन्त्री, वैदेशिक मन्त्री और स्वराष्ट्रमन्त्री बना। उसने जर्मनी से सम्बन्ध स्थापित करने की नीति ग्रहण की और विशी सरकार का रुख़ बरतानिया के प्रति अधिकाधिक शत्रुतापूर्ण होता गया। जब विशी-सरकार ने जर्मनो को, बरतानिया के निकट-पूर्व के साम्राज्य पर आक्रमण करने के लिये, सीरिया मे होकर निकल जाने की सहमति दे दी तो बरतानवी और आज़ाद फ्रान्सीसी फौजे ८ जून '४१ को सीरिया में दाखिल हो गई। विशी-फ्रान्सीसी फौजो और उनके पूर्व सहयोगियो मे ख़ूब युद्ध हुआ, अन्त को १२ जुलाई '४१ के दिन विशी-सेना ने आत्म-समर्पण कर दिया। सोवियत रूस पर जर्मन-आक्रमण के बाद, ३० जून '४१ को, विशी-सरकार ने रूस से सम्बन्ध-विच्छेद कर लिया और जर्मनो के साथ रूसियो से लडने के लिये एक छोटी-सी वालन्टियर सेना खडी की। १९४१ के अन्तिम दिनो मे जर्मनी विशी से और अधिक सहयोग मॉग रहा था।

अधिकृत फ्रान्स मे नात्सी अधिकारियो के विरुद्ध प्रतिरोध की भावना १९४१ मे और भी प्रबल हो उठी। उनका निर्दयतापूर्वक दमन किया गया और अक्टूबर '४१ मे सैकडो फ्रान्सीसी देशभक्तो को गोली के घाट उतार