पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/२८३

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मुद्रा-विनिमय - । . ‘भारत छोडो' प्रस्ताव के बाद देश में हुई अशान्ति के समय सरकार द्वारा किये गये दमन के विरोध में डा० मुकर्जी ने प्रान्तीय गवर्नर के नाम एक मार्मिक पत्र लिखा ( जो सरकार द्वारा ज़ब्त कर लिया गया) और मत्रि-मण्डल से इस्तीफा दे दिया। भारत की वर्तमान समस्या के निपटारे के प्रयत्न करनेवालो में आपका स्थान मुख्य है ।। मुक्त अर्थनीति- अर्थशास्त्रियो | के एक दल का यह सिद्धान्त है। कि आर्थिक-संकटो के निवारण के । लिये एक नवीन मुद्रा-प्रणाली स्थापित कीजाय । इसका आधारभूत सिद्धान्त यह है कि ऐसी व्यवस्था की जाय कि मुद्रा का मूल्य स्वतः हर मास कम होता रहे और उसके स्थान पर नवीन मुद्रा का प्रचलन होता रहे। इससे मुद्रा-संचालन का प्रचलन बडी तीव्र गति से होगा, लोग मुद्रा का मूल्य घटने के कारण, उसका वेग से प्रचलन करेगे। जब स्थायी रूप से मुद्रा का प्रचलन होगा तो बेकारी न रहेगी; आर्थिक संकट भी उत्पन्न न होगा । मुक्त बन्दरगाह---किसी देश के बन्दरगाह को, उस देश द्वारा, दूसरे देश को प्रयोग करने का अधिकार दे देना । अन्य देश अपना माल उस बन्दरगाह से भेज सके तथा उस बन्दरगाह पर मंगा सके । उसे न कोई आयात-निर्यात कर देना पडे और न इस प्रयोग के लिये उसपर किसी प्रकार का दायित्व या बंधन लगाया जाय । मुक्त व्यापार-मुक्त व्यापार से यह प्रयोजन है कि सब देश स्वतंत्र रूप से अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार करे और कम-से-कम तट-कर ( टैरिफ़ ) आयातनिर्यात पर उनको देना पडे । मुद्रा-विनिमय-प्रत्येक देश में भिन्न-भिन्न प्रकार की मुद्राएँ प्रचलित हैं :