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पृष्ठ:Garcin de Tassy - Chrestomathie hindi.djvu/६७

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॥५॥ कर स्ले इन का काम बिगायो राजा ने हुक्म इन सब को कियो सो हम सब की इन में मित्रता र लियो लाथ पांब काटि गरे सोई निहोरो मानि ऐश इतनो इन सबनि के करते भूमि फाटि गई ठग सब चरित्र नरनि ने जयदेव सों जाइ कन्यो । जयदेव जू । लाथ पांव मले मलते मानो नव पल्लव से निकरि । निहारि और तू अचरज मान्यो दोङ चरित्र जाइ राजा ने सुनि दौरि पाइ चरननि पर गिरि पूथ्यो कि स्वा कहा और आप कौन हो सो अपनो नांव ठाव को राजा जब बलुत अर पखो तब जयदेव जू ने श्रादि । अपनी कहि सुनाई। राजा सुनि अपनो महा भार पठाय पनावती जयदेव की स्त्री को किंटुविल्व से जहां एनी रहे तहां बास दियो। एक दिन रानी के भाई के मरने भौजाई के सती हो । सुनते ही रोदन करि छाती पीटन लगी दश खुशाम् सरस रोने पीटने लगे। पनावती जू ज्यों की त्यों ने कन्यो कि आप को कछ सोच न भयो। तिन व की रीत नहीं है प्रेम या कों कलिये जो मरनोस् छांडि देय। रानी सुनि रोस सों भरि चुप रही। के ने राजा सों कयो म पनावती जी के प्रेम की। हैं इन को बाग में ले जाइ तहां सों कलाइ भेजो 3 लोक भयो। राजा ने तेसो कियो। पद्मावती सु।।