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पृष्ठ:Garcin de Tassy - Chrestomathie hindi.djvu/८३

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॥ ७॥ पीपा। मूल। पीपा प्रताप जग बासना नाम को उपदे प्रथम भवानी भक्त मुक्ति मागन को धार्य सत्य कल्यो तिहि सक्ति सुटुरु हरि सस्न बत रामानंद पद पाय भये प्रति भक्ति की सेवा गुण असंख्य निर्माल संत धरि राषत सीवां ॥ परसि प्रनाली सरस भये सकल विश्व मंगल पीपा प्रताप जग बासना नाम को उपदेस पीपा जू की टीका। गांगरीन ग पीपा नाम राजा भयो लयो पन देवी भागये। आये पुर साधु सीधो दियो जोई सोई लियो । प्रभु बुद्धि फेरि गरिये। सोयो निसि रोयो देषि सुए । प्रेत विकराल रेल परिके पारिये। अब न सुहाया । गई नई रीति भई याहि भक्ति लागी प्यागये। पूर । मग जब देवी कही सही रामानंद गुरु करी प्रभु' । बोरो भयो गयो यह कासी पुरी फुरी मति पाये ज मे न जान देत अाम्या ईस लेत कही राज सी. लुटाईये। कयो कूवा गिरो चले गिरन प्रसन्न लाये दरस दिषाईये। किये शिष्य कृपा करि धरी अब जावो मेह सेवा साधु कीजिये। बितये ।।