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अीश्वर कौन और कहा है?

अिसलिअे हम सब अीश्वरके अवतार है। मगर अैसा कहनेसे कोअी मतलब हल नही होता। राम, कृष्ण वगैराको हम अवतार कहते है, क्योकि अुनमे लोगोने अीश्वरके गुण देखे। आखिर तो राम, कृष्ण वगैरा मनुष्यकी खयाली दुनियामे बसते है और अुसकी खयाली तसवीरे ही है। अितिहासमे अैसे लोग हो गए या नही, अिसके साथ अिन कल्पनाकी तसवीरोका कोअी सम्बन्ध नही। कअी बार हम अितिहासके राम और कृष्णको ढूढते-ढूढते मुश्किलोमे पड़ जाते है और हमे कअी तरहकी दलीलोका सहारा लेना पड़ता है।

सच बात तो यह है कि अीश्वर अेक शक्ति है, तत्त्व है, शुद्ध चैतन्य है, सब जगह मौजूद है। मगर हैरानीकी बात यह है कि अैसा होते हुअे भी सबको अुसका सहारा या फायदा नही मिलता, या यो कहे कि सब अुसका सहारा पा नही सकते।

बिजली अेक बड़ी ताकत है। मगर सब अुससे फायदा नही अुठा सकते। अुसे पैदा करनेका अटल कानून है। अुसके मुताबिक काम किया जाय, तभी बिजली पैदा की जा सकती है। बिजली जड है, बेजान चीज है। अुसके अिस्तेमालका कायदा चेतन मनुष्य मेहनत करके जान सकता है। जिस चेतनामय बड़ी भारी शक्तिको हम अीश्वर कहते है, अुसके अिस्तेमालका भी नियम तो है ही। लेकिन यह चीज बिल्कुल साफ है कि अुस नियमको ढूढनेके लिए बहुत ज्यादा मेहनतकी जरूरत है। अेक शब्दमे अुस नियमका नाम है ब्रह्मचर्य। ब्रह्मचर्यको पालनेका सीधा रास्ता रामनाम है। यह मै अपने अनुभवसे कह सकता हू। तुलसीदास जैसे भक्त और अृषि-मुनियोने तो वह रास्ता बताया ही है। मेरे अनुभवका कोअी जरूरतसे ज्यादा मतलब न निकाले। रामनाम सब जगह मौजूद रहनेवाली रामबाण दवा है, यह शायद मैने पहले-पहल अुरुळीकाचनमे ही साफ-साफ जाना था। जो अुसका पूरा अुपयोग जानता है, अुसे जगतमे कम-से-कम बाहरी काम करना पड़ता है। फिर भी अुसका काम बडे-से-बडा होता है।

अिस तरह विचार करते हुअे मै कहता हू कि ब्रह्मचर्यकी रक्षाके जो नियम माने जाते है, वे तो खेल ही है। सच्ची और अमर रक्षा तो रामनाम ही है। राम जब जीभसे अुतरकर हृदयमे बस जाता है, तभी अुसका पूरा चमत्कार दिखलाअी देता है। यह अचूक साधन पानेके लिअे अेकादश व्रत तो है ही। मगर कअी साधन अैसे होते है कि अुनमे से कौनसा साधन