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पृष्ठ:Yeh Gali Bikau Nahin-Hindi.pdf/११४

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यह गली बिकाऊ नहीं/113
 


बात जारी रखी, “आप जो कह रहे हैं, ठीक है । पर माधवी जी कुछ बोलती नहीं !

इस प्रॉबिन्स बेलसली से कितने ही करोड़पति मेरे हाथ का 'कॉकटेल' सेवन करने के लिए लगभग रोज़ ही यहाँ आते रहते हैं। न जाने क्यों, माधवीजी मुंह नहीं खोल रहीं ?"

"उसे इसकी आदत नहीं ! मेरे ख्याल में, उस्ताद तो साथ देंगे"-गोपाल ने मुत्तुकुमरन की ओर इशारा किया। पर अब्दुल्ला तो माधवी के पीछे ही पड़े हुए थे।

"सो कैसे ? इतने दिनों से माधवीजी फिल्म-जगत् में काम कर रही हैं। यह सुनते हुए यकीन नहीं होता है कि अभी आदत नहीं पड़ी ?"

माधवी ने इसका भी कोई उत्तर नहीं दिया। इस बीच अब्दुल्ला का नौकर 'कॉकटेल' बनाने के लिए तरह-तरह की शराब की बोतलें और प्याले मेज़ पर रख गया। विभिन्न चमकीले रंगों में, विभिन्न आकारों वाली वे बोतलें और प्यालियाँ इतनी सुन्दर थीं कि उन्हें चूमने को जी करता था। सुनहरी रेखाओं से बेल-बूटे कढ़ी प्यालियों पर से आँखें हटाना असंभव- सा था।

अब्दुल्ला उठे और मेज के पास जाकर कॉकटेल मिक्स करने लगे। गोपाल भी उठा और माधवी के पास जाकर बोला, "प्लीज! कीप कंपनी! आज एक दिन के लिए मेरी बात मानो। अब्दुल्ला का दिल न तोड़ो !" गोपाल अपनी बातों पर जितना अड़ा था, उससे रत्ती भर भी माधवी की जिद कम नहीं थी। अब्दुल्ला तो बात-बात पर माधवी का ही नाम संकीर्तन करते जा रहे थे। गोपाल अब्दुल्ला का दिल रखना चाहता था। पर माधवी हा ठाने हुए थी। गोपाल को उसके हठ पर क्रोध आ रहा था। असल में क्रोध उसके हठ पर भी नहीं, उस हछ को हवा देनेवाले व्यक्ति पर था ! मुत्तुकुमरन् जैसे आत्माभिमानी और हठी व्यक्ति की संगति में आने पर ही तो वह इतना बदल गयी थी ! मुत्तुकुमरन् जैसा मर्द उसके जीवन में नहीं आया होता तो माधवी झक मारकर उसकी बातें मानती चली जाती; उंगलियों पर नाचती-फिरती। इसीलिए गोपाल का क्रोध माधवी पर न जाकर मुत्तुकुमरन् पर गया। वह मन-ही-मन भुनभुनाया कि इस पापी कलमुहे. उस्ताद की वजह से ही तो माधवी में मानाभिमान और रोष का भाव इस तरह सवार है।

गोपाल को लगा कि माधवी के एक इशारे पर अब्दुल्ला जैसा व्यक्ति अपनी दौलत का सारा खजाना लुटा देगा। अब्दुल्ला की हर बात और हर नज़र पर जिद- भरी हवस का रंग चढ़ा हुआ था । बात जो भी हो, वह यही पूछते नजर आते कि माधवी जी भी आ रही हैं न? माधवीजी क्या कहती हैं? माधवी जी क्या चाहती हैं? लेकिन माधवी कुछ ऐसी निकली कि किसी को आँख उठाकर देखना हो या