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पृष्ठ:Yeh Gali Bikau Nahin-Hindi.pdf/१२०

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यह गली बिकाऊ नहीं/119
 

ऑटोग्राफ़ और फोटोग्राफ़ के लिए लोग पिल पड़े।

सहल बुद्ध का पगोडा पहाड़ पर एक अटारी जैसा खड़ा था। उस पहाड़ के चारों ओर जिधर देखो, बुद्ध मन्दिर थे। सारा मन्दिर परिसर अगर बत्तियों की महक उठा था। कहीं-कहीं लाठी और मूसल जैसी दानवाकार अगर- बत्तियाँ लगी थीं।

फोटो खिचवाने और चित्र चाहनेवालों को चित्र बेचने के लिए चीनी 'विक्रेतागण बड़ी फुर्ती से दौड़-दौड़कर ग्राहक खोज रहे थे।

मदुरै के नये मंडप की दुकानों की भाँति और पलनि के पहाड़ पर चढ़ने की पगडंडी की भाँति, बुद्ध-मन्दिर जानेवाली सीढ़ियों में भी दोनों तरफ़ चीनियों की 'घनी दुकानें थीं। खिलौनों से लेकर तरह-तरह के उपयोगी और केवल सजावटी सामान उन दुकानों में बिक रहे थे। वे चीनियों की मेहनत और कारीगरी का उत्तम नमूना पेश करते थे।

सहस्र बुद्ध के पगोडे की सीढ़ियां चढ़ते हुए एक जगह पर माधवी की साँस चढ़ गयी । उसके पीछे सीढ़ियाँ चढ़ते हुए मुत्तुकुनरन् ने देखा कि वह लड़खड़ा रही है तो उसने लपककर हाथों का सहारा दिया।

"कहीं गिरकर मर हो न जाना ! तुम्हारे लिए मैं जो साधना कर रहा हूँ, उसका क्या होगा ?" उसने उसकी कमर को जोर से भींचते हुए उसके कानों में कहा तो माधवी पर मधुवर्षा-सी हुई।

"मरूँ ? वह भी आपके साथ रहते हुए ? ना बाबा, ना !" यह कहते हुए माधवी के मुख पर जो मुस्कान खिली, वह अमरत्व की बेल बो गयी ! उस मुस्कान को फिर से देखने का उसका मन लालायित हो उठा। इस एक मुस्कान के लिए, उसे 'लगा कि अब्दुल्ला की अवज्ञा, गोपाल की उपेक्षा आदि सभी कुछ सहे जा सकते हैं।

सहस्र बुद्ध पगोडे से वे सीधे साँपों के मन्दिर में गए। उस मन्दिर के किवाड़ों 'पर, झरोखों के सीखचों पर, जहाँ देखो वहाँ हरे-हरे साँप रेंग रहे थे। बरामदे पर रखे गमलों पर, ग्रोटन्स के पौधों पर और छत की बुजियों पर भी सांप लटक रहे थे। पहले ही से परिचित व्यक्ति तो निडर होकर आते-जाते रहते थे। पर नवागंतुक तो डर रहे थे। कुछ हिम्मतकर लोग उन साँपों को हाथों में लिये या गले में माला की तरह पहने हुए 'फ़ोटो' के लिए 'पोज' भी दे रहे थे। ऐसे चित्र उतारने के लिए कुछ चीनी वहां पहले से ही मौजूद थे। वे पर्यटकों से कह रहेथे कि आप अपना स्थायी पता और रुपये दे जायें तो फोटो आपको खोजते हुए आपके घर आ जायेंगे।

गोपाल उर के मारे मन्दिर के बाहर ही रह गया। माधवी भी क्रम डरपोक नहीं थी। पर मुत्नुकुमरन् धैर्य के साथ अंदर चला गया तो वह भी उसका पीछा किये बिना नहीं रह सकी।