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पृष्ठ:अप्सरा.djvu/४४

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अप्सरा


साहब कनक को देखते रहे । आँखों में तअज्जुब और सम्मान था। पूछा--"फिर कैसा इंसाफ ?" "राजकुमार को बिला बजह के तकलीफ दी जा रही है, वह छोड़ दिए जायँ । कनक की पलकें मुक गई। ___ साहब कैथरिन को देखकर हँसने लगे। कहा-"हम कल ही छोड़ देगा। तुमसे हम बहुत खुश हुआ है।" कनक चुपचाप खड़ी रही। "तुम्हारी पतलून क्या हुई मिस्टर हैमिल्टन ?" हैमिल्टन को घृणा से देखकर साहब ने पूछा। ___ अब तक हैमिल्टन को होश ही नहीं था कि वह धोती पहने हुए है। नशा इस समय भी पूरी मात्रा में था। जब एकाएक यह मुक्रमा पेश हो गया, तब उनके दिल से प्रेम का मनोहर स्वप्न सूर्य के प्रकाश से कटते हुए अंधकार की तरह दूर हो गया। एकाएक चोट खाकर नशे में होते हुए भी वह होश में आ गए थे। कोई उपाय न था, इस- लिये मन-ही-मन पश्चात्ताप करते हुर यंत्र की तरह रॉबिंसन के पीछे- पीछे चल रहे थे। मुकदमे के चक्कर से बचने के अनेक प्रकार के उपायों का आविष्कार करते हुए वे अपनी हालत का भूल ही गए थे। अब पतलून की जगह धोती होने से, और वह भी एक दूसरे अँगरेज के सामने, उन्हें कनक पर बड़ा गुस्सा आया । मन में बहुत ही सुन्ध हुए। अब तक वीर की तरह सजा के लिये तैयार थे, पर अब लज्जा में ऑखें मुक गई। ____एक नौकर ने पतलून लाकर दिया। बाल के एक दूसरे कमरे में साहब ने पहन लिया। कनक को धैर्य देकर रॉबिंसन चलने लगे। हैमिल्टन और दारोगा को शीघ्र निकाल देने के लिये एक नौकर से कहा । ____ कनक ने कहा-"ये लोग शायद अकेले मकान तक नहीं जा सकेंगे। आप कहें, तो मैं ड्राइवर से कह दूं, इनको छोड़ आये।" रॉबिंसन ने सर झुका लिया, जैसे इस तरह अपना अदब जाहिर