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पृष्ठ:अहिंसा Ahimsa, by M. K. Gandhi.pdf/१०७

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गांधीजी wor- यद्यपि हिन्दुस्तान के निशस्त्रीकरणके भूलमें बलात्कार है, फिर भी अगर राष्ट्र उसे एक धर्मके रूपमें स्वेच्छापूर्वक अंगीकार करले और भारत घोषणा कर दे कि वह शास्त्रों से अपनी रक्षा नहीं करेगा, तो यूरोपको स्थितिपर इसका ठोस असर हो सपाता है। इसलिए जो लोग हिन्छु- स्तानको अहिंसा द्वारा अपने भाग्यकी सिद्धि करते देखना चाहते हैं उन्हें सविनय-अवज्ञाका विचार किये बिना अपनी संपूर्ण शक्ति सच्चाफे साथ रचनात्मक कार्यक्रमको पूर्तिमें लगा देनी चाहिए। हरिजन-सेवक १जून, १९४० असंगति प्रश्न- कालमें ही आपने लिखा था-"सविनय अवज्ञाके जरिए अंग्रेजोंको ठीका दिशाम प्रभावित करने के लिए इस वक्त वातावरण नहीं है।" और उसी लेख में आपने लिखा है, "देश अगर स्पष्ट रूपसे अहिंसात्मक होता और उसमें पूर्ण अनुशासन होता तो मैं बगैर किसी हिचकिचा- हटके सत्याग्रह शुरू कर देता।" अब सवाल यह उठता है कि अगर कुछ समय बाद देश स्पष्टरूपसे अहिंसात्मक हो जाय,पर लड़ाई लम्बे असेंतक चलती रहे, तो क्या आप सविनय अवज्ञा शुरू कर देंगे। अगर भाप शुरू करते है तो क्या इससे अंग्रेज तंग न होंगे? अगर कांग्रेस के बाहरके दल अहिंसात्मक म होंगे, तो क्या आप सविनय अवज्ञा आरम्भ करने में हिचकिचायेंगे ? उसर:-क्षुब समझ लेने के लिए जो भाषय छोड़ दिये गये हैं, उन्हें अगर आप मिलाकर पढ़ेंगे, तो आपको इसमें कोई असंगति न मालूम होगी। मौणूया वातावरणका मतलब यह है कि जब अंग्रेजोंके परोंको सुरक्षा खतरेमें है सब किसी भी चीजको बर्दाश्त करने लिए अंगरेज तैयार नहीं है। इसका तात्पर्य हमारी बहुत अपूर्ण अहिंसा भी है। अगर हम पूरे तौरपर, अतः स्पष्ट रीलिसे अहिंसात्मक हों, तो उसका मतलब यह होगा कि खुब अंग्रेज हमारी महिलाको मान लेंगे। कोई भी विशुद्ध अहिंसात्मक कार्य उनको परेशान नहीं कर सकता । बल्कि सच्ची बात तो यह है कि अगर हमारी बहिसा पूर्ण होती तो हममें मान्सरिक कलह न होला, कांग्रेसमें भगड़े न होते, गैर-काँग्रेसियों के साथ हमारा कोई झगड़ा न होता। उस हालतमें तो सजिमय- अवशाफे लिए कोई अवसर ही नहीं माला। इस आशयको बा अभी हाल में मैने इन्हीं पृष्ठोंने लिखी है। आपने जो वाक्य उद्धृत किये हैं उनमें भी उसी बातको मैने दूसरे ढंग से कहा है। क्योंकि किसी संयुक्त राष्ट्र द्वारा उठाये जानेवाले अहिंसात्मक काममें बिना किसी काहटके होनेवाली उसकी लवमसिद्धि स्वयं ही छिपी रहती है। इस लिए जिस आण मेरी कल्पनाकी हिसा स्थापित हो जायगी उसी क्षण लड़ाकै लिए मैं समार हो जाऊंगा, फिर चाहे अंग्रेज किसी