गाधीजी राबोच्च ससापर, धाजाओपर ओर सम्से ज्यावा कॉँग्रेसियोंपर पड़ेगी । सर्वोच्च सत्ता और
राजाओंने कभी भ8सक होनेका व।)। नही. किया । उनकी शक्तिका आधार और स्रोत हो
हिसाका प्रयोग है । लेमिन फांग्रेसने १९२०से अहिसाफो अपनी निद्ियत नीतिफे झूपमे स्वीकार
कर रखा है और इसमे सम्वेह महीं कि उठने हस५२ चललेकी भी कोश की है। फेफिन चूंकि कॉमग्रेसियोंने अपने दिलोंनें अहिताकों स्थान लहीं दिया, इसलिए उन्हें इस दोषका फल शुग-
तना ही चाहिये, भले ही बहू ऐोष फिसी इरादेसे न किया गया हो।॥ अबके नाजुक सगयमसें
बह दोष ऊपर फूठ पड़ा है और ऐसा छूमता है कि फिसी दोषपूर्ण उपायसे इस सपसणावा इल गहीं हो सकता । अधहिसावा। उद्देश्य उत्पीड़न थ। दबाव किसी भी धरह गहीं हो सफेता।
इसका तो उद्देश्य हृवय-परिचर्सत है। हम राजाओंका दिल नहीं वदऊ सफ्रे, हम मंप्रेण इासकोंका तिल नहों बदझ सके । यह कहना बेकार है कि शाराकोंकों अपनी इथ्छासे गपने अधिकार छोड़ वेगेके लिए प्रेरित करना अराभव है । मेने यह दावा किया हैकि शत्यागहता एक तथा परीक्षण ४ । जब कॉप्रेसी इसपर एक बार सच्चे दिलसे अमछ करेंगे तथ शगव ही
बतायेभा कि यह तक हुआ है सा अतफल । अगर एक सीतिपर भी ईमागवारीसे चलता हो तो पूरे दिलसे चलना चाहिए । एसने ऐसा भहीं फिया। इसलिए पहले इसके कि सर्वोच्च
पसत्तापर राजाओंसे हम यह उम्मीद करें कि ये ग्याय करें, हम काग्रेसियोंकों पाहिए कि हस स्वयं अपनेफो बंदर ।
लेकिन अगर काग्रेसी अधहिलाकी ओर आजतक जितना बढ़ चुफे हैँउससे भागे भ बढ़े
और सर्वोच्च सत्ता व राजाओंनेभी अपनी इच्छासे आवश्यक कब॒श न उठाया, तो देशकों हिसाके लिए तैयार रहता चाहिए, बदातें कि तये टिकनिक'ने आहसात्यक संघर्षका कोई ऐसा तरीका न निकाल लिया हो, जो हिसाके प्रभावशाली रूपमें सफल हो सकता हु। और बुराहयोंकोी दुरए कर' सकता हो। हिंसा सफरू नहीं होगी; पिर्फ बह हकीकत हिताकों
फूट पड़नेसे रोफ नहीं सकती । महज वैधानिक आन्दोलतरे फास न चलेगा । हरिजन सेवक
८ जुलाई, १९३९
धर मतलब यह है कि हमारी अधहिसा उन कायरों की भे हो
जो लड़ाईसे इरतें है, खून से डरते हैं; हत्यारों कीआवाजसे जिनका बिक
की पता है। हमारी अहिंसा तो पठानोंकी अहिंसा होतीं चाहिये । “गींधीजी'
श्ध््र