सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:अहिंसा Ahimsa, by M. K. Gandhi.pdf/७७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

वही पार लगायेगा

  1. “प्रिय बन्धु ,

मेरा आपसे परिचय नहीं है, पर जब सन्‌ १९३ १म आप डार्बेन (रूंकाशायर )आये थे, उस समय मेरी पत्नी और में आपको अपना मेहगान' बनाने वाले थे ।पर उससे कुछही पहले हमको

बलिन चले जाना पड़ा ।वहाँ हमने पिछले महायुद्धके बाद भूखों मरते बच्चोंमें कष्ठ-निवारणका काम किया था। इस बार भी' हम ५॥ वर्ष जर्मनीमें रहे । इससे हमे वहाँके ताजे हालातका खासा ज्ञान है । हमें वहाँके बहुतसे छोगोके साथ प्रेम भी हो गया है । इस लड़ाईकेशुरूमें 'हरिजन'मेंआपकी कुछ पंव्तियाँ पढ़कर मुझे बड़ी दिलचरपी पैदा

हुई ओर प्रेरणा गिली । आपने लिख था कि, अगर हिसासे मेरे देशकी आजादी मिलती हो तो भी में उस कीसतपर उसे नहीं लूंगा। मेरा यह अटल विश्वास हैकि तलवारसे ली हुई चीज उसी तरह चली भी जाती है । भेरे मित्र अंगाथा हैरिसनने भी मुझे आपके कुछ लेस बताये। इनसे

मुझे युद्धके बारेमें आपका रवैया समझनेमें मदद मिलती है । फिर भी मेरे मगपर चिन्ताका भार है। मज़ही आपके सामने रखना चाहता हूँ। आजकल बहुतसे पक्केशान्ति-प्रेमियोंका भी यह हाल हैकि जब कभी उनके देशोंकी रवतंत्रता बुरी तरह छिनी जाती हैतो वे खुद भले ही युद्ध अलग रहें, मगर वे समझते हूँकि खोई हुईं आजादीको वापस लेने के लिए लड़ना अनिवाये ही नहीं, उचित भी है । क्या ऐसे बबतसें आप जैसे

आध्यात्मिक नेता और ईहवरीय दृतका यह फर्जे नहीं हैकि आगे बढ़कर युद्धके पागलपनेकेबजाय कोई दूसरा ऐसा! रास्ता सुझायें जिससे जापसके झ गड़डे तो दूर हो ही सकें ,बूराईका मुकाबला और राजनीतिक उद्देश्योंकी पूर्ति भीहो सके ? मेरी समझनमें नहीं आया कि जिस उत्तम भार्गके आप

अगुआ हैंउसकी संसारके आगे घोषणा न करके आप युद्धसे पैदा हुई स्थितिसे भारतकी स्वतंभ्ताके हकमें लाग उठानेकी छोटी सी बात व2्यों सोच रहेहै' ! मुझे छूगता हैकि शायद मेंआपको समझतेमें गलती कर रहा हूँ । मेंचाहता हूँ किपरमात्मा आपके देशकी शुगाशाएँ पूरीकरे, मगर यह साजाज्यवादी ब्रिठेनकों हिसात्मक यूद्धमें मदद देवर किसी सौदेकी -तरह पूरी न हों, बल्कि एक सया

और पहुलेसे अच्छा जगत-निर्माण करनेकी योजनाकते सिलप्िकेमें होनी चाहिए । युद्धकी पीड़ा और निराशासे विदीर्ण होकर मेरा हुदय आपको पुकार रहा है । मेरी तरह

संसारमें बहुत लोग ऐसे हैजो इस ब्‌राईमेंसे समय रहते मानव“जातिको मुक्त देखनेके लिए तरस

रहे हैं। शायद आप ही ऐसे आदमी हैं,जो हमारी मदद कर सकते है । कुपया विचार कीजिए । ४९, पारलियामेष्ट हिल

आपका

लेदुन, एन० इफ्त्यू ३

क्ॉर्वर कैजपूद्ध बढ