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पृष्ठ:अहिंसा Ahimsa, by M. K. Gandhi.pdf/७८

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भ्रहिण यहु लेखकके पत्रका सार हैं। से जानता हूँकि इसमें जो रवेया प्रकट किया गया है वही अनेक अंप्रेजोंका है । वे कोई अच्छा रास्ता सुझानेके लिए भेरी तरफ देस रहे हैँ । मेरे सत्तर साल पूरेहोनेके उपलक्षमें सर राधाकृष्णनूने जोअभिनत्वन-पग्रन्थ छपाया हैउससे झञान्तिके हजारों उपासकोंकी आद्ाएं गहरी हो गयी है । मगर यह तो में ही जानता हूँकि इस आधशर्योकी

पूतिके लिए मेंकितना कस्जोर साधन हूं । भक्तोंने मुझे जो भेय दिया हैउसका से हकवार नहीं रहा हूँ । गेंअभी यह साबित तहीं कर सका हूँकि हिलुस्तान बलवानोंकी अहिसाका कोई बढ़िया उदाहरण दुनियाके सामने पेदा करता हैऔर न यह कि हमला करने बालोंके खिलाफ सदास्त्र युद्धके

सिवाय फोई और भी कारगर उपाय ही सकता है । इसमे कोई शक नहीं कि हिन्दुरतानने तो यह दिखा दिया कि कसजोरोंके हथियारके रूपमें निष्क्रिय अहिसा कासकी चीज है । यह भी सही है कि आतंकवादके बजाय आहिसा उपयोगी है । मगर में यह धावा नहीं कर सकता कि यह कोई नयी या बड़ी बात है। इससे शान्तिके आन्दोलनकों कुछ भी मदद नहीं मिलती ।

भरे पिछले लेखैका पत्र-लेखकने जो हवाला दिया हैउसमें औरकांग्रेसकी मॉँगके साथ मेरे एकरस हो जानेभें विरोध बिलायी दे तो कोई अचरजकी बात नहीं हे। मगर विरोध जैसी चीज

असलमें हैनहीं । उरा वक्‍त क्‍या, से तो अब भी आहिसाका बलिदान करके आजादी नहीं लू । आलोचक यह ताना दे सकता हैकि ब्रिटिश सरकारसे जो घोषणा चाही जा सकती हैयह कर दे तो आप मित्र राष्ट्रींकी मदव करने रूगेंगे और इस तरह हिसाके भागीवार बन जायेंगे ? यह ताना

वाजिब होता, अगर बात यह न होती कि कांग्रेसकी सहायता तो शुद्ध नेतिक सहायता होगी । काँग्रेस नधन बेगी,त जन । उसके मैतिक प्रभावका उपयोग भी शाच्तिके लिए किया जायगा। भर

इस अखबारमें पहले ही कह घुका हूंकि मेरी अहिसा बचाव और हसला करनेव्वाल्ली अलग अलग

किस्मकी हिसाओंकों मानती है । यह सही हैकि अन्त्में यह भेव मिट जाता हे,मगर आरम्भ तो उसका मूल्य हैही । मौका पड़ने पर भहिसावादी व्यक्तिके लिए यह कहना धर्म हो जाता हैकि

न्याय फिस तरफ है । इसलिए मैंने अबौसीनिया, स्पेन, चेकोस्लोयाफिया, वीन और पो्लेश्के निवासियोंकी सफलता चाही थी, हालाँकि मेने हर सुरतमें यह चाहा था कि वे छोग अहिसात्मक भुकाबिला करते । मौजूदा मामलेमे अगर त्ेस्बरलेन साहबने जो ऊँची बातें कही हैउनपर अमल करफे पम्िठेस अपना वावा कांग्रेसके सामने सच्चा साबित कर वे और हिन्दुस्तान अजांद घोषित कर दिया जाये, तो वहू अपना सारा नंतिक प्रभाव धान्तिफे पक्षमें खर्त कर देगा । मेरी रापसें

जो हिसता भेंइस काम में ले रहा हूँ बहुबिलकुल अहिसात्मक है। कांग्रेसकी भाँगके पीछे कोई सौवैकी भाषना नहीं है । चहु साँग हैभी तो खालिस नेतिक । न सरकारकों तंग फरनेको

इच्छा है । सविनय-भंगर भी ज़ल्दीबाजीमें शुरू न होगा । इस बातकी सावधानी रखी जा रही है कि कांग्रेसकी भाँग पर जो सी उचित आपत्ति हर उसका समाधान किया जाय और बाँछित घोषणा करनेम जिटेसको जो भी कठिताई साजूम होफ़से कम किया जाये । जो अधोर फाम्रेत्ती,अहिसात्मक ही सही, लड़ाईके छिए छटपटा रहे हैं४सपर खूब जोर बाला जा रहां है । मेंखुद पह चाहुता हूं

कि झान्ति-“भापनके काससे से कारगर हिस्सा लेसेके योग्य हो जाऊे । ऐसा भें उसी हालतमें कर - सकता हूँ,जब हिलुस्तान सत्तमुच जिदेसका झाजाद साथी बन जाम, भरे ही कानूनी भिप्राएँ युद्ध सतस होतेके भाप होती रहूँ । रह