गांधीजी
लेकिन मे हूँकौन ? जो ई#वबर मुझ देता हैइसके अलावा मेरे पास कोई ताकत नहीं है । सिर्फ नेतिक प्रभावके अलाया मेरी देशवासियों पर भी कोई सत्ता नहीं है । इस समय संसार पर जिस भीषण (हिसाका साज्नाज्य हैउसकी जगह अहिसा स्थापित करनेके लिए ईइवर मुझे शुद्ध अस्त्र समझता होगा तो वह मुझे बल भी वेगा और रास्ता भी विखायेगा। मेरा बड़े-से-बड़ा हथिबार तो मूक प्रार्थदा है।इस तरह दास्ति-स्थापनका कास ईवबरके समर्थ हाथोंमें है।उसके हुब्मके बिना पसा भी नहीं हिल सकता । उसका हुक्म उसके कानूनकी शकलमें ही जारी होता है । वह
कामून सदा वैसा ही रहता है,कभी बदलता नहीं । उसमें और उसके कामूनसें कोई भेद भी नहीं है । हम उसे और उसके कामूसको फिसी आइनेकी सददसे पहचान सकते हेऔर चह घुंघका-सा ।
पर उस कानूनकी जो हलकी-सी क्षकक दिखायी बेती हैवह मेरे अन्तरको आनन््व, आज्षाओऔर भविष्यम श्रद्धारों भर वेनेके लिए काफी है ।
हरिजन-सेवक
९ दिसम्बर,
१९३९
अमली अहिसा डॉ. रामसनोहर लोहिया लिखते हैँ:-«“क्या आजादीकी प्रतिज्ञाका यह अर्थ हैकि स्वतंत्र भारतके लिए ऐसी सामाजिक व्यवस्था मेंविश्वास रख[ही जाये जिसकी बुनियाद सिफ चर्खेऔर मौजूदा रचनात्मक कार्यक्रम पर होगी ? मुझे खुदकोतो ऐसा रूगता हैकि ऐसी बात नहीं है । प्रतिज्ञा्मे चर्खा और गाँबोंकी दस्तकारियाँ शामिल हैं,मगर यह बात नहीं हैकि प्रतिज्ञामें दूसरे उद्योगों और आशिक, प्रवृत्तियोंकी गुंजाइश ही नहीं । इन उद्योगोर्गें बिजली ,जहाज बनाने, कहे तैयार करने आदिका नाम लिया जा सकता है।
फिर भी यह सवार रह जाता है कि जोर किस पर द्विया जाय? इस बारेमें प्रतिशञासे सिफे इस हुब॒तक फैसला होता है कि इतना विश्वास रखना तो जरूरी हैँकि चर्सा और ग्रामोद्योग भावी समाज-व्यवस्थाके ऐसेहिस्से होंगे जिन्हें अलग नहीं किया जा सकता और उन्परसे विदवास हटाकर
दुसरे उद्योगोंपर विश्वास नहीं रखा जा सकता ।
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“क्या प्रतिशासे तुरंतयह जरूरी हो जाता हैकि और सब कार्रवाई करना छोड़ दिया
जाय जौर सिर्फ वही किया जाय जिसका आधार मौजूदा रचनात्मक कार्यक्रम पर हो ? मुझे
तो ऐसा लगता है कि यह जरूरी नहीं। लगांन, कर, व्याज; और जनताकी प्रगतिके रास्तेमें और भी जो आधिक रुकावटें हैउनके विरुद्ध आन्दोलन करनेमें तो कोई बाधा नहींविखाई देती । सिसालके लिए यह नामुप्तक्रिन नहीं है.कि जब जाप सत्याग्रह शूरू करना पसन्द बारेंतब आप' खुद ही वगानवबन्दी और करबन्दीका आन्दोलन करतेका निश्चय करें। आप सचमुच ऐसा करें या ने 4०५