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पृष्ठ:आलमगीर.djvu/३३५

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प्राचमगीर न नाम मी बोड़ते , माँ मिले मार गये पाम, गुलाम बना लिए चा, मी प्रम पापही इस्लामी राज्य में एक दचिव तमाम मामी रा य समता विसकी स्थिति एक गुलाम में इवही प्रपी गवी वर पाय दिए गए बीवन और मनी मोग परमे के लिए इमामी शासकको उसे बिन्दा यमे देते, ठोसले में समर्थ होता है कि यह नागरिक अधिभर कोवाय दे और कर के रूप में बन रे बोपतिरा मावा है। उसे तो सेना में भरती होने का अधिभर है, न बन सेमह रने । उसे बिम्मी पापाता है। वह न पोहे पर पद सकता है, न पियार गाँध सकया , न महीन कपड़ा पनि सम्वा है। विम्मी ग्रे प्रवास में गवाही देने , मी एक नही है। उसनमा म किया रस्काम के प्रस्बेक सदस्य के आप सम्मानपूर्वक दीन मार से रहे। उसे मार सलमे, सूर ने पासा साम्बर से गुस्खमान की। मुगलोरपाये समी मुसमान मानो ने ऐसार मस्तिम मारनामो से पानी प्रत्याचार पोर सून बागपी से मरे ए शासन लिए | परन्द्र प्रकार में पाले का पार्मिक पर सिमा और हिन्दुओं से म मा गबनैतिक पयाग स्पापित किए, किन उनके ताप सार सम्पप मी पापित दिए । परस्त मौरत- ने दिर से सती पारबता म प्रचार बिना और हिन्दू धर्म पर धीरे धीरे माझमयरने प्रारम्भ किए। सन् १६ में पर गुमगत का देदार या, उसमे सहमदापद के समीरमे दुर विम्तामगि प्रसिद्ध मन्दिर प्रेगौहत्या का मार दिया। पार में उसे मचिद बनवा दिया। गुस्पतरे और मरिपये प्रेमी उसमे दहा दिया अपने गम पानी में उसने बनारस में एक नए मदिर बनाने की प्राश नहीं दी। नप ही उसने पसे देकर मेदिनीपुर तक समबोरेको मन्दिरों मरम्मत पमपी। उन् १५५ मप्रैल में उसने एक माम मम रिमा विहिममों