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पृष्ठ:आलमगीर.djvu/३३६

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विहंगम पर सब पाठणासाएं और मदिर गिय दिए बाएँ शोर उनले धार्मिक प्रथाएँ बद कर दी था। इसी समय उसने गुजरात का होमनाथ मन्दिर, पनारत विना ममिर और मपुर शहर पर प मदिर पान । मधुप दिनों प्रमश वर्मत पा, रिग्रेश- परम्प बात प्रसिस गबन मामांप से पाया दही और पागरीष नेपाली मा पर बा, सिर पर औरणमेव की सबसे कर दधि पड़ी और इसमे भमुरा मवी नाम के घर मुमामान को मधुध प्रोडदार निमुकसि नितमे या केशव मन्दिर रारिया और मपुरा पार का नाम पसर इस्खामापार म दिया। इसी समय उसने एमाणमा अवम पर डामारय मर के सारे को परगनों और पारों में मोवासिब निमुक्कर दिए, बिनकामम रिमुभो दीयों और मन्दिोवारमा कतारीमा। १५८. में उसने भामेर रियासत के मन्दिर र गो, और गुवराव हिम्पो में नो बमीने बीफे के रूप में मिली शहर बन्द करनी १६.१ में भोरगाने ने वामातम मर गैरस्थिमो पर बरियारपणा दिया। मिया, पौराप सेम उसको और गुणामों का इससे दूर दी गई। मठाधीयों और महन्तों से भी पर पुषना परवाया। परपर चीन दरों में शिया भावापाको पार पौस और मावासीस राम परिर्प पी। किसी माग मोर उरखपुर के महारामा पतिए ने इस पर सिलाफ त कुछ प्रा-सुनी दियो भोर मापाती प्रथा ने मी प्रामना, परम् औरान उपमान नही पा। इसमें बहुत ही कम पडून होती पी। प्रोटे गुबरात से ही पावसाब स्परे पावे में। सकर से बबने पोर अपमानों से हरभय पाने के लिए गाय पा पा पुरुसमान होने लगे। इसमे पर ही मौतये नमा। उसने मुस्लमान सौरागये पर से दी पर विस्तासिया, सारिन