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पृष्ठ:आलमगीर.djvu/९३

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पासमगीर परम् मो मनवबदार पास हाक्लाप बस या मा उससे प्रॉों में इस विसरपार देखते ही सून उवर भाग। पर इस तरम राबा ने उसी तनिक भी परवाह नहीं की। अपमे पारेको एर देकर और बार परम भागे बद या पासी पीपे-पीछे पहने जमा । पिता और शारीर-मावर्ते रिलीया रेलवे स्टेशन और कम्पनी माग है, पाँइस बेगम ने एक सय पनपाई पी। पर सराप उस समप भारवर्ष पर में मेट इमारत पी। इसकी सारी हमार। दुर्मबिसी यी और उपर गरेको भानीवान पुतबित कमरे बने । बिसमें रेप-रेश सोम ठारते और पार करते थे। सराव में नहाने के लिए परेर, नम और बोस पावसामे बने पे सयप हसराम लिए बेयम ने पोम्पर्मचारी निपुण किए । इस समय तक भी सपम् मूवी नहर पार नहीं हो पाई भी मौर बाये अगर मिमी उसमें बिजनपति अमर हे। एसपक ममी बारी यो जारी मोर एपीपी। इसकी सूचना व्यरोगा को मी मिह पुषी की और पहाँ भी भेगम में प्रवाई की धूमपाम मपी पी। याचार वापरले विथन किए गए थे। गत से साये, बाह-पाठी भरपे-अपमै काम में सगे ये । इस समय सराप पर माग पहा बेगम वापराने पासी भी भोर गाँ एक परत वायता अपीमा बामनीमो वि तथापा ममा पा । पारे परंप पहा मुमम्मित इन्वनाम कर दिया गया या पापीपे बीच हंगेमरमर श्री पाराहारी पी। पर्ने देयम की सपारी उवरी। ग्राम श्री भीनी मुगावा में मर पी पी। पाय माती मे सारी पारी में यों से सबाना था। हर बारबार्ग प्राय पत 1