पृष्ठ:आवारागर्द.djvu/२८

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तिकड़म

पहिना दिया गया। घोड़ी पर चढ़ाया गया, बाजे बजने लगे। सब नेग टेहले भुगतने लगे—मुझे जैसे सब भूल ही गये।"

"फिर तुमने क्या किया? क्या भाग आए?”

"भाग कैसे सकता था? सुसर नम्बर १ ने एक न सुनी; कहने लगे-तुम हमारे मान हो, जा कैसे सकते हो?"

"भई वाह, तुम सालिगराम के व्याह में दूल्हे से बराती बन गये। भई रहा खूब।"

रामनाथ बिगड़ गये। कहने लगे—"तुम्हें भी यही करना पड़ता।"

एक बार फिर दोस्तों मे कह-क़हा मचा। और मि° रामनाथ ठण्डी सॉस भरते, आह-ऊँह करते उठ कर रफू-चक्कर हुये।