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पृष्ठ:कटोरा भर खून.djvu/४९

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सोम॰: नाहरसिंह को केवल यहाँ के बेईमान राजा ने बदनाम कर रक्खा है क्योंकि वह उन्हीं के साथ बुरी तरह पेश आता है, उन्हीं का खजाना लूटता है, और उन्हीं की कैद से बेचारे बेकसूरों को छुड़ाता है। सिवाय राजकर्मचारियों के हरिपुर का एक अदना आदमी भी नहीं कह सकता कि नाहरसिंह जालिम है या किसी को सताता है।

खड़ग॰: (अनिरुद्ध की तरफ देख कर) क्या यह सच है?

अनिरुद्ध: बेशक, सच है! नाहरसिंह बड़ा ही नेकमर्द, रहमदिल, धर्मात्मा और वीर पुरुष है। वह किसी को तंग नहीं करता बल्कि वह महीने में हजारों रुपये यहाँ की गरीब प्रजा में गुप्त रीति से बाँटता, दरिद्रों का दुख दूर करता, और ब्राह्मणों की सहायता करता है। हाँ राजा करनसिंह को अवश्य सताता है, उनकी दौलत लूटता है, और उनके सहायकों की जान लेता है।

खड़ग॰: अगर ऐसा है तो हम बेशक नाहरसिंह को बहादुर और धर्मात्मा कह सकते हैं (सोमनाथ की तरफ देख कर) मगर राजा करनसिंह नाहरसिंह की बहुत बुराई करता है और उसे जालिम कहता है, सबूत में हाल ही की यह नई बात दिखलाता है कि नाहरसिंह नमकहराम बीरसिंह को कैद से छुड़ा ले गया जिस पर राजकुमार का खून हर तरह से साबित हो चुका था और तोप के सामने रख कर उड़ा देने के योग्य था। नाहरसिंह इसका क्या जवाब रखता है?

अनिरुद्ध: सोमनाथ बराबर हम लोगों की पंचायत में मुंह पर नकाब डाल कर आया करते हैं। हम लोग इस बात की जिद्द नहीं करते कि वे अपनी सूरत दिखाएं बल्कि कसम खा चुके हैं कि इनके साथ कभी दगा न करेंगे। जिस दिन से नाहरसिंह ने बीरसिंह को छुड़ाया है उस दिन से आज ही मुलाकात हुई है। हम लोग खुद इस बात का जवाब इनसे लिया चाहते थे कि उस आदमी की मदद नाहसिंह ने क्यों की जिसने राजा के लड़के को मार डाला? नाहरसिंह से ऐसी उम्मीद हम लोगों को न थी। हम लोग बेशक राजा के दुश्मन हैं मगर इतने बड़े नहीं कि उसके लड़के के खूनी को भगा दें। मगर हम लोगों को सब से ज्यादा ताज्जुब इस बात का है कि बीरसिंह के हाथ से ऐसा काम क्योंकर हुआ! वह बड़ा ही नेक धर्मात्मा और सच्चा आदमी है, राजा से भी ज्यादा हम लोग उसे मानते हैं और उससे मुहब्बत रखते हैं क्योंकि इस राज्य में या कर्मचारियों में एक बीरसिंह ही ऐसा था जिसकी बदौलत रिआया आराम पाती थी या जो रिआया को अपने