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पृष्ठ:कर्मभूमि.pdf/३९६

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का नया इन्तखाब हो, तो मैं दावे से कह सकता हूँ कि बोर्ड का यह रिजोल्युशन हर्फ़े ग़लत की तरह मिट जायगा। बीस-पचीस हज़ार ग़रीब आदमियों की बेहतरी और भलाई के लिए अगर बोर्ड को दस-बारह लाख का नुकसान उठाना और दस-पांच मेम्बरों की दिलशिकनी करनी पडे तो उसे . . .

फिर टेलीफ़ोन की घंटी बजी। हाफ़िज हलीम ने कान लगाकर सुना और बोले--पच्चीस हजार आदमियों की फ़ौज हमारे ऊपर धावा करने आ रही है। लाला समरकान्त की साहबजादी और सेठ धनीराम की बहू उसकी लीडर हैं। डी० एस० पी० ने हमारी राय पूछी है और यह भी कहा है कि फायर किये बग़ैर जूलूस पीछे हटनेवाला नहीं। मैं इस मुआमले में बोर्ड की राय जानना चाहता हूँ। बेहतर है कि वोट ले लिये जायँ। जाबते की पाबन्दियों का मौका नहीं है, आप लोग हाथ उठायें---फॉर?

बारह हाथ उठे।

'अगेन्स्ट?'

दस हाथ उठे। लाला धनीराम निउट्रल रहे।

'तो बोर्ड की राय है कि जुलस को रोका जाय, चाहे फ़ायर करना पड़े।'

सेन बोले--क्या अब भी कोई शक है।

फिर टेलीफोन की घंटी बजी। हाफ़िज़जी ने कान लगाया! डी० एस० पी० कह रहा था---बड़ा ग़ज़ब हो गया। अभी लाला मनीराम ने अपनी बीबी को गोली मार दी।

हाफ़िज़जी ने पूछा---क्या बात हुई!

'अभी कुछ मालूम नहीं। शायद मिस्टर मनीराम गुस्से में भरे हुए जुलूस के सामने आये और अपनी बीबी को वहां से हट जाने को कहा। लेडी ने इनकार किया। इस पर कुछ कहा-सुनी हई। मिस्टर मनीराम के हाथ में पिस्तौल थी। फ़ौरन शूट कर दिया। अगर वह भाग न जायँ, तो धज्जियाँ उड़ जायँ! जुलस अपने लीडर की लाश उठाये फिर म्युनिसिपल बोर्ड की तरफ जा रहा है।'

हाफ़िज़जी ने मेम्बरों को यह खब़र सुनाई, तो सारे बोर्ड में सनसनी दौड़ गयी मानो किसी जादू से सारी सभा पाषाण हो गयी हो।

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कर्मभूमि