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पृष्ठ:काव्य में रहस्यवाद.djvu/१५८

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साहित्यभूषण-कार्यालय के ग्रन्थ-रत्न

 

१—सूक्ति सरोवर
(सम्पादक—लाला भगवानदीनजी)

यदि आप हिन्दी के प्राचीन तथा अर्वाचीन कवियों की चमत्कार-पूर्ण प्रतिभा, अनोखी सूझ और कविता की उत्कृष्ट कला को देखना और काव्य-रस का आस्वादन करना चाहते हैं तो सैकड़ों काव्य-ग्रन्थ न पढ़ कर "सूक्ति-सरोवर,' को पढ़िए। इसमें सूरदास और केशव, तुलसीदास और बिहारी, मतिराम और भूषण, पद्माकर और देव, महावीरप्रसाद द्विवेदी और नाथूराम इत्यादि की ऐसी-ऐसी रसीली और चमत्कार-पूर्ण उक्तियों का संग्रह है कि कोई भी काव्य-प्रेमी प्रसन्न हुए बिना नहीं रह सकता। एक-एक उक्ति अमूल्य है और कई ऐसी हैं जिन पर लाखों रुपये न्यौछावर किये जा चुके हैं। काव्यरसिकों के लिए यह नई पुस्तक है।

इसमें 'देव-घाट' 'प्रकृित-घाट, 'ऋतु-घाट' 'शृङ्गार-घाट' और मानव-घाट नामक ५ घाट हैं, और प्रत्येक घाट में भिन्न-भिन्न विषयों को एक-से-एक बढ़कर उक्तियों, व्याख्यापूर्वक दी गई हैं जिससे हिन्दी का साधारण ज्ञाता भी उक्ति के भाव और चमत्कार को सरलता से समझ सके। संग्रहकर्ता और व्याख्याता हैं हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर लाला भगवानदीनजी। पुस्तक अच्छे मोटे ऐण्टिक काग़ज़ पर छपी है। पृष्ट-संख्या लगभग ५०० है। मूल्य केवल २॥)