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पृष्ठ:काव्य में रहस्यवाद.djvu/१५९

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२—प्रिया-प्रकाश
(टीकाकार—लाला भगवानदीनजी)

यह केशवदासकृत 'कविप्रिया' नामक ग्रंथ की टीका है। यदि आप काव्य-शास्त्र का अच्छा ज्ञान संपादन करना चाहते हैं, तो बिना इस ग्रंथ को पढ़े निस्तार नहीं। कई एक ऊँची परीक्षाओं में यह पुस्तक पाठ्य ग्रंथ है। "अवशि देखिये देखन जोगू"। मूल्य सजिल्द २।) बिना जिल्द का २)

३—विनय-पत्रिका
(टीकाकार—लाला भगवानदीनजी)

तुलसीदासजी की विनयपत्रिका से ऐसा कौन मनुष्य होगा जो अपरिचित हो? यह राम-भक्तों के लिये अमूल्य वस्तु है। रामायण के साथ-ही-साथ हरएक हिन्दू के घर में इस पुस्तक का रहना भी आवश्यक है। पुस्तक में शब्दार्थ, सरल सुवोध टीका, अलंकार, भक्ति के सिद्धान्त और भूमिका भी दी गई है। भूमिका में तुलसीदासजी की भक्ति का सिद्धान्त अच्छी तरह दिखलाया गया है। इन सब सामग्रियों से पुस्तक की शोभा बहुत बढ़ गई है। चढ़िया कागज पर छापी हुई ५०० पृष्ठ की सुन्दर पुस्तक का मूल्य १॥) मात्र।

४—नवीन-वीन
(रचयिता—श्रीयुक्त लाला भगवानदीनजी)

इसमें कविवर दीनजी की चुनी हुई ४२ अनूठी कविताओं का परम रमणीक संग्रह है, जिनमें सत्रह कविताएँ सचित्र हैं। कुशल शब्द-शिल्पी की रचना को चित्र-शिल्पी की कुशलता ने और भी