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पृष्ठ:गुप्त-निबन्धावली.djvu/७३२

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हंसी-दिल्लगी हुई सजाओंकी भरमारी, आखिर करके अपनी ख्वारी, छोड़ चले शाइस्ताखानी ! जारी कर सरकुलर लाइन, और एमर्सन ठोंके फाइन. हाकिम पुलिस हुए कम्बाइन, पर यह समय बड़ा है डाइन, छोड़ चले शाइस्ताग्वानी ! गुरखोंकी पलटन बुलवाई, जगह जगह पर पुलिस चढ़ाई, लाठीकी फिर गई दुहाई, पर वह भी कुछ काम न आई, छोड़ चले शाइस्ताखानी : खूब अमनमें लठ चलवाया, कितनों ही का सिर तुड़वाया. नाहक पकड़ जेल भिजवाया, आखिर यह दिन आगे आया, छोड़ चले शाइस्ताखानी ! बरीसालकी देख तबाही, भूली दुनियाँ सिक्खाशाही, बृटिश रूलपर फेरी स्याही, खत्म हुई अब आलीजाही, छोड़ चले शाइस्ताखानी ! लड़के बच्चे खूब बिगाड़े, कितनेही इसकूल उजाड़े, [ ७१५ ]