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पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 2.djvu/२१६

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होता कि ऐसा तिलिस्मी खंजर कहीं से कमलिनी के हाथ लगा। यह असम्भव है, बल्कि ऐसा खंजर हो ही नहीं सकता। कमलिनी ने तुमसे झूठ कहा होगा।

भूतनाथ––(हँसकर) नहीं-नहीं, बल्कि उसी तरह का एक खंजर कमलिनी ने मुझे भी दिया है। (कमर से खंजर निकाल कर और हर तरह पर दिखाकर) देखिये, यही है।

मायारानी––(ताज्जुब से) हाँ-हाँ, अब मुझे याद आया। नागर ने अपना और तुम्हारा हाल बयान किया था तो ऐसे खंजर का जिक्र किया था और मैं इस बात को बिल्कुल भूल गई थी। खैर तो अब मैं उस पर किसी तरह फतह नहीं पा सकती।

भूतनाथ––नहीं, घबराइये मत, उसके लिए भी मैं बन्दोबस्त करके आया हूँ।

मायारानी––वह क्या?

भूतनाथ ने वह कमलिनी वाली चिट्ठी बटुए में से निकाल कर मायारानी के सामने रखी जिसे पढ़ते ही वह खुश हो गई और बोली, शाबाश भूतनाथ, तुमने बड़ा ही काम किया! अब तो तुम उस नालायक को मेरे पंजे में इस तरह फँसा सकते हो कि कमलिनी को तुम पर कुछ भी शक न होगा।

भूतनाथ––बेशक ऐसा ही होगा। मगर अब हम लोगों को अपनी राह बदल देनी पड़ेगी अर्थात् पहले जो यह बात सोची गई थी कि किशोरी का छुड़ाने के लिए जो कोई वहाँ जायेगा, उसे फँसाते जायेंगे, सो न करना पड़ेगा।

मायारानी––तुम जैसा कहोगे वैसा ही किया जायेगा, बेशक तुम्हारी अक्ल हम लोगों से तेज है। तुम्हारा ख्याल बहुत ठीक है अगर उसे पकड़ने की कोशिश की जायेगी तो वह कई आदमियों को मारकर निकल जायेगा और फिर कब्जे में न आवेगा, और ताज्जुब नहीं कि इसकी खबर भी लोगों को हो जाये, जो हमारे लिए बहुत बुरा होगा।

भूतनाथ––हाँ, अतः आप एक चिट्ठी नागर के नाम की लिख कर मुझे दीजिए और उसमें केवल इतना ही लिखिए कि किशोरी और कामिनी को निकाल ले जाने वाले से रोक-टोक न करे बल्कि तरह दे जाये और उस मकान के तहखाने का भेद मुझे बता दें, फिर जब ये दोनों किशोरी और कामिनी को ले जायेंगे तो उसके बाद मैं उन्हें धोखा देकर दारोगा वाले बँगले में जो नहर के ऊपर है ले जाकर झट फँसा लूँगा। वहाँ के तहखानों की ताली आप मुझे दे दीजिये। कमलिनी की जुबानी मैंने सुना है कि वहाँ का तहखाना बड़ा ही अनूठा है, इसलिए मैं समझता हूँ कि मेरा काम उस मकान से बखूबी चलेगा। जब मैं गोपालसिंह को वहाँ फँसा लूँगा तो आपको खबर दूँगा, फिर आप जो चाहे कीजियेगा!

मायारानी––बस-बस, तुम्हारी यह राय बहुत ठीक है, अब मुझे निश्चय हो गया कि मेरी मुराद पूरी हो जायेगी!

मायारानी ने दारोगा वाले बँगले तथा तहखाने की ताली भूतनाथ के हवाले करके उसे वहाँ का भेद बता दिया और भूतनाथ के कहे बमूजिव एक चिट्ठी भी नागर के नाम की लिख दी। दोनों चीजें लेकर भूतनाथ वहाँ से रवाना हुआ और काशीजी की तरफ तेजी के साथ चल निकला।

च॰ सा॰