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पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 2.djvu/३६

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न भेज दिये गये होते, तो वह भी फँस जाते। आप भूले न होंगे कि रामनारायण और चुन्नीलाल चुनारगढ़ में है और पन्नालाल को राजा वीरेन्द्रसिंह गयाजी में छोड़ आये हैं, राजगृह भी उन्हीं के सुपुर्द है, वे किसी तरह वहाँ से टल नहीं सकते, क्योंकि वह शहर नया फतह हुआ है और वहाँ एक सरदार का हर दम बने रहना बहुत ही मुनासिव है।

जिस समय रोहतासगढ़ किले से तोप की आवाज आयी, दोनों सेनापति बहुत घबराये और पता लगाने के लिए जासूसों को किले में भेजा। मगर उनके लौट आने पर दिग्विजयसिंह की दगाबाजी का हाल दोनों सेनापतियों को मालूम हो गया। उन्होंने उसी समय इस हाल की चिट्ठी लिख सवार के हाथ चुनारगढ़ रवाना की, और इसके बाद सोचने लगे कि अब क्या करना चाहिए।


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आज बहुत दिनों के बाद हम कमला को आधी रात के समय रोहतासगढ़ पहाड़ी के ऊपर पूरब तरफ वाले जंगल में घूमते देख रहे हैं। यहाँ से किले की दीवार बहुत दूर और ऊँचे पर है। कमला न मालूम किस फिक्र में है या क्या ढूँढ़ रही है। यद्यपि रात चाँदनी थी परन्तु ऊँचे-ऊँचे और घने पेड़ों के कारण जंगल में एक प्रकार से अन्धकार ही था। घूमते-घूमते कमला के कानों में किसी के पैर की आहट मालूम हुई। वह रुकी और एक पेड़ की आड़ में खड़ी होकर दाहिनी तरफ देखने लगी, जिधर से आहट मिली थी। दस-पन्द्रह कदम की दूरी से दो आदमी जाते हुए दिखाई पड़े। बात और चाल से दोनों औरतें मालूम पड़ीं। कमला भी पैर दबाए और अपने को हर तरफ से छिपाये उन्हीं दोनों के पीछे-पीछे धीरे-धीरे रवाना हुई। लगभग आध कोस जाने के बाद ऐसी जगह पहुँची जहाँ पेड़ बहुत कम थे बल्कि उसे एक प्रकार से मैदान ही कहना चाहिए। थोड़ी-थोड़ी दूर पर पत्थर के बड़े-बड़े अनगढ़ ढोंके पड़े हुए थे जिनकी आड़ में कई आदमी छिप सकते थे। सघन पेड़ों की आड़ में से निकल कर मैदान में कई कदम जाने के बाद वे दोनों अपने ऊपर से स्याह चादर उतार कर एक पत्थर की चट्टान पर बैठ गई। कमला ने भी अपने को बड़ी चालाकी से उन दोनों के करीब पहुँचाया और एक पत्थर की आड़ में छिपकर उन दोनों की बातचीत सुनना चाहा। चन्द्रमा अपनी पूर्ण किरणों से उदय हो रहे थे और निर्मल चाँदनी इस समय अपना पूरा जोबन दिखा रही थी। हर एक चीज अच्छी तरह और साफ नजर आती थी। जब वे दोनों औरतें चादर उतार कर पत्थर की चट्टान पर बैठ गईं, तब कमला ने उनकी सूरत देखी। बेशक वे दोनों नौजवान औरतें थीं जिनमें से एक तो बहुत ही हसीन थी और दूसरी के विषय में कह सकते हैं कि शायद उसकी लौंडी या ऐयारा हो।

कमला बड़े गौर में उन दोनों औरतों की तरफ देख रही थी कि इतने ही में