सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:निबंध-रत्नावली.djvu/८१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५३
अयोध्या

अयोध्या की वर्तमान दशा

वर्तमान समय में अयोध्या नगरी तहसील फैजाबाद के अधीन एक क्षुद्र ग्राम मात्र है। अधीन है सही, किंतु फैजाबाद ऐसे नगर न जाने उसके विस्तीर्ण खंडहरों में कितने दबे पड़े हैं । काशी, मथुरा आदि तीर्थों में पुराने चिह्नों का जैसे नामावशेष रह गया है, वैसे ही यहाँ भी पुराना नाम मात्र अवशिष्ट है । भगवान् रामचंद्र देव के समय की इमारतों का तो कुछ पता ही नहीं, वरंच वीर विक्रमादित्य का बनवाया हुआ मंदिर भी अब नहीं रहा । जिधर देखिए, उधर मसजिद और कब दिखलाई दे रही हैं। अब भी यह पुरी कोसों के घेरे में है, परंतु बीच बीच में बड़े बड़े मैदान और खंडहर पड़े हैं। कहीं तमाखू के खेत भी बोए जाते हैं । अयोध्या की जनसंख्या और बस्ती प्रति वर्ष अपने आकार को बढ़ा रही है। वाजिद- अली शाह के समय में यहाँ तीस से अधिक मंदिर न थे, अब हजारों पर संख्या पहुँच गई। नगरी का आकार बढ़ता है, पर वह प्रतापहीन नितांत निःसार है।

नगरी की शोभा गृहस्थों से है. और गृहस्थ यहाँ बहुत ही अल्प हैं। यहाँ के संत महंत और अधिष्ठाता बंदर और बैरागियों को छोड़कर अन्य जन विरले ही हैं । इन दोनों की चारों ओर प्रचंडता विद्यमान है। पूजा पाठ इन्हीं का होता है। भक्ति से हो या लोकाचार से इनकी तुष्टि बिना निस्तार नहीं है । बंदरों के लिये यहाँ ऊँचे ऊँचे इमली के वृक्षों की