पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/१८५

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★ Pada 10] ' Pilgrimage १२७ - (१०) अनुवाद. हे मूर्ख मन, सोचकर बोझा लाद । बनजारों के झुण्ड ! माल लाद कर कहाँ ले चले हो ? आगे पराया देश है । सौदा करना है तो इसी क्षण करलो; क्यों कि इसके आगे न बाज़ार है न खरीदने वाला, न बेचने वाला । पानी पीना है तो इसी कुएँ का पीले, जो रत्नसम है । आगे न घाट है, न पानी है । कवीर कहते हैं, हे भाई साधो ! सुनो, यह निर्वाणियों का पद है ।