पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/१९५

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Pada 14] Pilgrimage. १३७ (१४) अनुवाद. ( हे बेटा ! ) धर्म के अनुसार नौकरी बजाना और महात्माओं तथा गुरु की आज्ञा का पालन करना । मन- रूपी घोड़े को चाबुक मारते हुए विवेक की लगाम हाथ में पकड़ना । प्रेम और क्षेम से रह कर, हे बेटा ! " सोऽहं " किला जीतना । मंजिल दर मंजिल पहुँच कर, संगम पर पूजा करना । अविचल चित्त से लक्ष्य का वेध करना । और पीछे नहीं हटना । ( श्वास की ) सीढ़ी पकड़कर ऊपर चढ़ना और हे बेटा ! धीरज के साथ किले को जीतना । अन्दर का परदा खोल कर धैर्य से ऊपर चढ़ना । ( Contd. on p. 239 )