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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/३१८

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भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अंगरेजी राज को मिली ! सिराजुद्दौला सेना लेकर मुर्शिदाबाद से बढ़ा और हुगली के निकट आकर उसने अंगरेज मनापति बाट्सन को इस मज़मून का एक पत्र लिखा :- ___"तुम लोगों ने हुगली का नगर ले लिया, उसे लूटा और मेरी प्रजा के साथ युद्ध किया, इस तरह के काम व्यापारियों को शोभा नहीं देने, इसलिए मै मुर्शिदाबाद से चलकर हुगली के निकट आ गया हूँ। इसी सरह में अपनी सेना सहित नदी को पार कर रहा हूँ और मेरो सेना का एक भाग तुम्हारे पडाव की ओर बह रहा है। फिर भी यदि तुम चाहते हो कि कम्पनी का कारबार पहले की तरह फिर से जम जाय और कम्पनी का व्यापार चलने लगे, तो किसी प्राअख्तियार प्रादमी को मेरे पास भेज दो। जो अपनी इच्छाएं और आवश्यकताएं मुझे बता सके और इस मामले में मुझसे पूरी तरह बातचीत कर सके । इस बात का परवाना जारी करने में मुझे कोई संकोच न होगा कि कम्पनी की तमाम कोटियाँ उन्हें वापस दे दी जा और जिन शर्तों पर वे इस मुल्क में पहले तिजारत करते थे उन्हीं शर्तों पर आइन्दा करते रहे । जो अंगरेज़ इन भूों में बसे हुए हैं वे यदि व्यापारियों का सा बर्ताव करेंगे, मेरी आज्ञाओं का पालन करेंगे और मुझे किसी तरह दिक्क न करेंगे, तो तुम विश्वास रखो मै उनके नुक्कसानों का खयाल करूंगा और इस बारे में उनको तसल्ली कर दूंगा। "तुम जानते हो, जंग में सिपाहियों को लूटने से रोकना कितना मुशकिल काम है ! इसलिए यदि मेरी सेना को लूट द्वारा सुम लोगों का कुछ नुक- सान हुआ है और उसमें से कुछ यदि तुम लोग अपनी ओर से छोड़ दोगे सो तुम्हारी दोस्ती लाभ करने के लिए और भविष्य में तुम्हारी कौम के साथ