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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/३२०

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भारत में अंगरेज़ी राज

भारत मे अंगरेजी राज (३) अंगरेजों को अधिकार हो कि जिस तरह वे चाहे अपनी आवादियों की किलेबंदी कर सके। (४) कलकत्ते में कम्पनी की एक अपनी टकसाल कायम हो। चौथी शर्त को स्वीकार करना सिराजुद्दौला के अधिकार से वाहर था । साम्राज्य भर में कहीं भी टकसाल कायम करना या किसी को टकसाल कायम करने की इजाजत देना केवल दिल्ली सम्राट के अधिकार में था। पहली तीनों शर्ते सिराजुद्दौला ने मंजर कर ली और चौथी के विषय में पत्र व्यवहार होता रहा । इस पत्र व्यवहार में अंगरेजों ने और नई नई शर्ते नवाव के सामने पेश करनी शुरू की। उनका असली उद्देश सिराजुद्दौला के साथ सुलह करना नहीं था। उनका उद्देश सिगजुद्दौला को धोखा देकर बंगाल में एक जबरस्त बगावत खड़ी करना था। इन लोगों ने सिराजुद्दौला से कलकत्ते चलने की प्रार्थना की और उसे यह आशा दिलाई कि कलकत्चे पहुँच कर सुलह की शर्ते तय हो जायँगो। अंगरेज़ इस समय सिराजुद्दौला को धोखे से कलकत्ते लाकर ___अचानक उस पर हमला करना चाहते थे। सुप्रसिद्ध विश्वासघात मीर जाफ़र इस समय सिराजुद्दौला के साथ और उसके मुख्य सेनापतियों में से था। एस० सी० हिल लिखता है कि सिराजुद्दौला को "अपनी इस यात्रा में मालूम हो गया था कि मेरे अनेक सिपाही और कई अफसर तक मेरा साथ देने के लिए तैयार नहीं हैं।"

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