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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/५२०

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भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अंगरजी राज नवाब शुजाउद्दौला मरते समय अपनी माँ और अपनी विधवा बेगम दोनों को बड़े बड़े खजाने दे गया है। फैजाबाद के महल भी वह उन्हीं के नाम कर गया था, और ये दोनों बेगमे अपने अनेक सम्बन्धियों, ऑदियों और नौकरों के साथ अपने इन्हीं प्यारे महलों में रहती थीं। इस धूर्तता को राय देने वाला माननीय गवरनर जनरल था । आसनुद्दौला सुनकर शर्म से कॉप उठा !x x x अन्त कोxxx सौदा पक्का हो गया और दोनों अलग अलग अपनी अपनी ओर से इस दगाबाज़ी की जाब्तापूरी में लग गए । तय हुआ कि x x x फ़ैज़ाबाद मे रहने वाली कुम्हलाई हुई औरतों के सर यह इलज़ाम मढ़ा जावे कि तुम अंगरेजों के खिलाफ चेतसिंह के साथ साजिश कर रही हो । यदि किसी तरह यह साज़िश साबित की जा सके तो फिर बेगमों को हर तरह का दण्ड देना या उनके धन को जब्ती जायज ठहराई जा सकेगी, इसलिए साबित करना ज़रूरी था और साबित भी बाज़ाब्ता तरीके से करना । जब लोगों को पता चला कि अंगरेज़ क्या चाहते हैं, तो झूठे गवाह खड़े हो गएxxx बेगमों की तरफ से न कोई जवाबदेही करने वाला था और न कोई वकालत करने वाला xxxअब पेश्तर इसके कि बेगमों के महल के फाटकों को तोडकर अंगरेज़ी सेना भीतर घुस सक, केवल एक कठिनाई और बाकी थी लोकाचार और शिष्टता के एक रेशमी बन्धन को तोड़ना ज़रूरी था । वह अन्धन यह था कि शुजाउद्दौला मरते समय अपने इन सम्बन्धियों को अंगरेज़ सरकार की खास संरक्षता में छोड गया था, और गो कि अब स्थिति बदल चुकी थी, किन्तु उस समय अंगरेज़ सरकार ने यह ज़िम्मेदारी अपने ऊपर ले ली थी।xxx सर एलाइजाह इस्पे पहले भी कई ऐसी कठिनाइयों के मौके पर काम दे चुका था। इस संकट के समय