सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:महाभारत-मीमांसा.djvu/१३१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
  • भारतीय युद्धका समय #

१०५ %- जोड़ १४८ होता है । इसी तरह इसके पुत्र बतलाया गया है। (सभा० अ०१७) मागे शिशुनाग वंशके दस राजाभोंके इससे यह कल्पना हो सकेगी कि इन ३६२ वर्षतक राज्य करनेकी बात कही गई पुराणोंकी बातें कितनी भूलसे भरी हैं। है। परन्तु राजामोंके नाम और मिन्न वृहद्रथ और जरासंधके बीचके राजाओंके मित्र वर्ष-संख्याएँ दी गई हैं जिनका जोड़ नाम काल्पनिक मालूम होते हैं । इनकी १३४ होता है। इस ओर दुर्लक्ष करके | राज्य-वर्ष-संख्या नहीं दी गई है। अब हमइसके पहलेके बाहद्रय वंशका विचार | हम वायुपुराणमें बतलाये हुए भागेक करेंगे। पुराणोंका-प्रायः सब पुराणोंका राजाओं के नाम और वर्षसंख्या पर मत है कि यह वंश एक हजार वर्षांतक विचार करेंगे। वे इस तरह हैं:- . राज्य करेगा। (११) सोमापि ५८ वर्ष । द्वात्रिंशय नृपा घेते भवितारो वृहद्रथात् । (१२) श्रुतश्नवा ६४ व० पूर्ण वर्षसहस्रं च तेषां राज्यं भविष्यति । (१३) अयुतायु २६ व० इस वर्णनमें दिया हुआ एक हजार (१४) निरामित्र का स्थूल-अंक ही संशय उत्पन्न करता (१५) सुकृत्त ५६ ब० है । यह अनुमान होता है कि सथा हाल (१६) बृहत्कर्मा २३ १० मालूम न रहने पर स्थूल अंक रख दिया (१७) सेनाजित् २३ १० गया है। दूसरी बात यह है कि एक ही (१८) श्रुतंजय ४० १० वंश हजार वर्षांतक नहीं चल सकता। (१६) महाबाहु ३५ १० यह बात ऐतिहासिक अनुभवके विरुद्ध (२०) शुचि ५० ब० है। इस बातको भी ध्यान रखना चाहिये (२१) क्षेम २८ व कि ये वर्ष कलियुगके मानवी वंशोके (२२) भुवत ६४ व० हैं। बार्हद्रथके बाद पांच सौ वर्षोंकी (२३) धर्मनेत्र ५व० अवधिमें दो वंश हो गये । (दोनों वंशोको (२४) नृपति ५८ १० मिलानेसे १३८+ ३६२ जोड़ ५०० ही (२५) सुव्रत ३८ ५० होता है।) यह भी स्थूल अंक है। उसके (२६) रदसेन ५० ब० बाद १०० वर्षों में नन्द हुए । यहं अंक भी (२७) सुमति ३३ ५० स्थूल है । अस्तु: हमें व्योरेवार यह (२८) सुचल २२ ५० देखना चाहिये कि बाहद्रथ वंशका जो (२६) सुनेत्र ४० व० विस्तृत हाल दिया गया है, वह कैसा है। (३०) सत्यजित् ८३१० वृहद्रयले भारतीय युद्ध-कालीन सहदेव (३१) वीरजित् ३५ ब० नामक राजातक वायु पुराणमे ये दस (३२) अरिंजय ५० ५० राजा बतलाये गये हैं:-(१) वृहद्रथ (२) कुशाप्र (३) ऋषभ (४) पुण्यवान् (५) विकान्त (६) सुधन्धा (७) ऊर्ज () नभस् | यह तफसीलवार फेहरिस्त जाम-भ- () जरासंध (१०) सहदेव । यहाँ बृहद्रथसे कर यहाँ दी गई है जिससे मालूम होगा कि जरासंध नयाँ है। परन्तु “प्रथमप्रासे भारती-युद्ध के बाद ही २२ राजाओके मक्षिका पातः" कोसी बात तो यह है, कि समयका जोड़ वर्ष भाता है। फिर महाभारतमें जरासंधको वृहद्रथका प्रत्यक्षा ३२ राजानाका जोड़ एक हजार वर्ष से कुल ६६७ वर्ष।