सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:महाभारत-मीमांसा.djvu/१३२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१०६
महाभारतमीमांसा

• #. महाभारतमीमांसा मा सकता है ? इस फेहरिस्तमें कितने मेगास्थिनीजका यह कथन अधिक विश्वस- ही राजाओके नाम काल्पनिक और १०० नीय समझा जाय, कि भारतीय युजसे आदि राज्य-वर्ष-संख्या भी काल्पनिक है। चन्द्रगुप्ततक १३८ पीढ़ियाँ हो गई? हमारा किंबहुना, "द्वितीयप्रासेऽपि मक्षिका- मत है कि कोई प्राधार भूत बात या पात" के न्यायसे देख पड़ेगा कि महा- प्रमाण जितना अधिक प्राचीन या पूर्व- भारतमें सहदेवके लड़केका नाम मेघसधि कालीन हो, उतना ही अधिक विश्वसनीय है (अश्व० अ०२)सोमापि नहीं, जैसाकि यह माना जाना चाहिये । पूर्व पूर्व बातो- ऊपर कहा गया है । कहनेका तात्पर्य यही की परंपगसे देखने पर पुराणोंका स्थान है कि सब दृष्टियोसे विचार करने पर अन्तिम है। उनके पहले मेगास्थिनीजको प्रद्योत वंशके पहलेके बाहद्रथ-वंश और उसके भी पहले वेदांगोंको स्थान देना सम्बन्धी पुराणोंकी बातें केवल काल्पनिक चाहिये । स्वयं दीक्षितने निश्चित किया है मालूम होती हैं। कि वेदांग ज्योतिषका समय सन् ईसवी- यहाँ प्रश्न हो सकता है कि, यदि के लगभग १४०० वर्ष पहले है । उनकी बार्हद्रथ-वंश सम्बन्धी दी हुई कच्ची बातो- यह बात पुराणों के विरुद्ध होती है, क्यों- को निराधार मान लें, तो कि यह स्पष्ट है कि भारतीय युद्ध वेदांग- यावत्परीक्षितो जन्म यावनन्दाभिषेचनम्। ज्योतिषके बहुत वर्ष पहले हुआ है। एतद्वर्षसहस्रं तु शेयं पंचदशोत्तरम् ॥ परन्तु इससे भी पहलेका प्रमाणात इस श्लोकमें समष्टि रूपसे दी हुई सामान्यतः समस्त भरतखण्डमें मान्य बातको क्यों नहीं मानना चाहिये ? परन्तु समझे जानेवाले भारतीय युद्धका सन् हमाग कथन है कि बिना जाँच किये : ईसवीके ३१०१ वर्ष पहलेका समय हमें और तफसील दिये ऐसे अंकको माननेके उपलब्ध हुआ है । और इससे भी मेगास्थि- लिये कोई आधार नहीं है। वर्षोके हिसाब नीजकी बातोंकी विश्वसनीयता अधिक लगानेकी कोई दन्तकथा नहीं बतलाई सिद्ध होती है। इसलिये अब उस प्रमाण- जाती । इसका मूल आधार पीढ़ियाँ ही की ओर ध्यान देना चाहिये। होनी चाहिये । ऊपर बतलाया जा चुका है कि फुटकर वंशोकाकुल जोड ६० वर्ष वैदिक साहित्यका प्रमाण । होता है। हर एक मनुप्य कहेगा कि २२ हम यहाँ विस्तारपूर्वक बतलायेंगे कि बार्हद्रथ, ५ प्रद्योत, १० शिशुनाग और मेगास्थिनीजकी बातोंके विशेष विश्वसनीय नन्द मिलाकर ४६ पीढ़ियोंके लिये १११५ होनेके सम्बन्धमें वैदिक साहित्यसे एक अथवा १००६ वर्ष कुछ अधिक नहीं होते। अत्यन्त महत्वपूर्ण और सबल प्रमाणका परन्तु, सन् ईसवीके लगभग ५०० वर्षोंके साधन कैसे मिल सकता है। ऋग्वेदक्के बाद, भविष्य रूपसे यह बतलानेवाले पुराण- मंत्रोंकी जाँच करने पर मालूम होता है कारोंका कथन क्या सच मान लिया जाय, कि ऋग्वेदमें भारतीय युद्धका कहीं कि प्रद्योत वंशके पहले भारतीय युद्धतक उल्लेख नहीं है। परन्तु भाग्यवश उसमें एक हो बाहद्रथ वंश था? अथवा सन भारतीय योद्धाओंके पूर्वजोका एक मह- ईसपीके लगभग ३०० वर्ष पहले यहाँ त्वपूर्ण उल्लेख पाया जाता है। भीष्म भाकर, तत्कालीन प्रचलित वंशावलीको और विचित्रवीर्य के बाप शंतनुका देवापि सावधानीले देखापरः लिखनेवाले निण नामक पक भार भी यह देवापि शेतजुने