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पृष्ठ:योगिराज श्रीकृष्ण.djvu/५९

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58/ योगिराज श्रीकृष्ण
 


(1) कृष्णचन्द्र को गोकुल पहुँचे अभी बहुत दिन नहीं बीते थे कि पूतना नाम्नी एक 'राक्षसी' रात को नन्द के घर में घुस आई और कृष्ण को उठाकर निज स्तन से दूध पिलाने लगी । उसके दूध में ऐसा विष भरा था कि यदि कोई दूसरा पान करता तो मर जाता, परन्न कृष्ण ने इतने वेग से उसके स्तन को मुख मे लेके खींचा कि वह चिल्ला उठी । उसकी चिल्लाहट से बहुत स्त्री-पुरुष एकत्र हो गए।
इस घटना की सत्यता यो प्रतीत होती है, कि कृष्ण 'पृतना' नामक रोग में प्रसित हो गये होगे । चिकित्सा के प्रसिद्ध ग्रंथ 'सुश्नुत' में पूतना' नामक एक भयंकर रोग बताया गया है डिएकी पीड़ा से छोटे बच्चे प्राय: मर जाया करते है !!
(2) दूसरी बात इस प्रकार वर्णन करते है कि यशोदा कृष्ण को अपने छकड़े के नीचे लिटाकर आप वस्त्र धोने चली गई : कृष्ण सो रहे थे । जब जागे और माता न मिली तो भूख से व्याकुल हो चिल्लाने लगे और इतने जोर से लातें मारने लगे कि वह छकड़ा जिस पर घडे इत्यादि रखे हुए थे उलट गया जिससे सब बर्तन आदि टूट गए पर कृष्ण के चोट नहीं आई और वे फिर सो गये । जब यशोदा आई तो बच्चे को सोता पाया । वह इस घटना को देख चकित हो गई। फिर उसने और नन्द ने मिलकर उन टूटे हुए घड़ों और बर्तनो की पूजा की और उन पर दही और फल-फूल चढ़ाये । पाठक वृन्द ! क्या आपने नहीं सुना, कि किसी मकान की छच गिर गई और उसमें जो बालक सो रहे थे सही-सलामत सोते पाए गए । यदि ऐसी घटनाएँ खोजी जायें तो बहुत मिलेंगी जिनमें छत गिर गई हो, चारपाइयाँ टूट गई हों, उन पर सोये बालकों को कोई चोट नहीं लगी । शेष रही यह बात कि कृष्ण की लात की चोट से छकडा उलट पड़ा तो इसका यथेष्ट प्रमाण ही क्या है ? फिर भी यह कोई ऐसी अलौकिक या असभव घटना नहीं कही जा सकती । संभव है छकड़ा उस तरह खड़ा हो कि उस पर तनिक ठोकर लगने से वह गिर पड़ा हो, अथवा किसी पशु ने गिरा दिया हो या किसी अन्य कारण से गिर पड़ा हो ।
(3) तीसरी घटना- यह है कि एक उड़ने वाला राक्षस (कदाचित् कोई पखेरू हो) तृणावर्त उनको लेकर उड़ गया परन्तु बालक में इतना बोझ था कि तत्क्षण भूमि पर आ गिरा । बच्चा तो बच गया पर वह स्वयं वहीं मर गया।
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1 इस घटना के विषय में पुराणों में बड़ा मतभेद है, यथा-विष्णुपुराण में लिखा है कि 'पूतना' ने रात को सोत हुए कृष्ण को उठाकर निज स्तन से लगा लिया और दूध पिलाने लगी । चिल्लाहट सुनकर यशोदा जागी इत्यादि ।
भागवत की क्या यह है कि एक दिन जब यशोदा मंदिर में विराजमान थी नो पूतना एक स्त्री का सुन्दर रूप धारण करके उसके पास जा बैठी और अपनी बातो से यशोदा को मोह लिया और चुपके से कृष्ण को उसकी गोद से अपनी गोद में ले लिया और छातियों से दूध पिलाने लगी । हारदश पुराण में पूतना' एक पक्षी को कहा गया है।
वर्तमान समय की मिलावट का हाल रसी से प्रकट हाता है कि इस घटना के बाद यशोदा को बच्चे की रक्षा के लिए टोटके टोने कराने पड़े और मंत्र, यंत्र तथा ताबीज गले में लटकाने पड़े । कहाँ नो यह कथन कि महाराज वृष्ण ईश्वर थे और कहाँ उनकी रक्षा पे टोने-टोटको की आवश्यकता हई । साराश यह कि इनका परस्पर विरोध ही इनकी असत्यता को भली भाँते प्रकट कर देता है।
2 इस घटना के स्मक रूप में महवन में एक बेठी मी हुई है जहाँ कृष्ण की मूर्ति बनान्न उस पर दो पर का लय बनी हुई है