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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

दिसम्बर १६, बृहस्पतिवार

वीरमगांव पहुँचा। ध्रांगध्रा छोड़ा। मोढ़ समाजकी ओरसे मानपत्र। वीरमगाँवमें सभा। डॉक्टर वीरमगाँवमें मिले। अदाने साथ छोड़ दिया। बम्बई गये। देवचन्दभाई गये। साँझको अहमदाबाद पहुँचा।

दिसम्बर १७, शुक्रवार

देवले और गोपालजी रवाना हुए।

दिसम्बर १८, शनिवार

बापुजीको आश्रम छोड़नेके लिए कहा।

दिसम्बर १९, रविवार

पोपटभाईके यहाँ मैंने और डॉक्टरने भोजन किया। उनमें और पूंजाभाईमें तनाव देखने में आया।

दिसम्बर २०, सोमवार

देवचन्दभाई अ...भाई, परमानन्द दास, चन्दुलाल आदि आये। बम्बई जानेके लिए विद्यार्थियों सहित निकला।
गांधीजी के स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती प्रति (जी० एन० ८२२१) से।
सौजन्य: गांधी स्मारक निधि
 

१४९. भाषण : सालेजमें[१]

जनवरी १, १९१६

आप मुझे जो सम्मान दे रहे हैं मैं उसके योग्य नहीं हूँ; मैं बैरिस्टर हूँ इसलिए इतना तो समझ सकता हूँ। किन्तु जो अज्ञानी होकर भी श्रद्धापूर्वक काम करते हैं, वे सम्मानके योग्य हैं। जिनमें श्रद्धा है उन्हें सम्मान देना चाहिए।

[गुजरातीसे]

गुजरात मित्र अने गुजरात दर्पण, ९-१-१९१६

 
  1. १. यह भाषण गुजरातके सालेज नामक स्थानमें दिया गया था; सालेज दक्षिण आफ्रिका गांधीजीके सहयोगी प्रागजी देसाईका जन्म स्थान।