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३६८. भाषण: चम्पारन जाँच समितिको बैठकमें

बेतिया
जुलाई १९, १९१७

चम्पारन कृषि-पद्धति जाँच-समितिको बैठक आज फिर आरम्भ हुई। प्रारम्भ में अध्यक्षने[१] कहा: हमारे सामने प्रस्तुत कुछ लिखित बयानोंमें ऐसी घटनाएँ दी गई हैं जो कई वर्ष पूर्व हुई थीं; इसमें से कुछ बीससे पच्चीस वर्ष तक पुरानी हैं। हमारा जाँचमें इतने पीछेके समयको सम्मिलित करना नितान्त असम्भव है। हमारी जाँच चम्पारन जिलेमें किसानोंको वर्तमान अवस्थासे सम्बन्धित है और हमारा पिछले इतिहाससे सम्बन्ध उसी हदतक रहेगा जिस हदतक उससे वर्तमान स्थितियोंपर प्रकाश पड़े। मेरा खयाल है कि जो इक्के-दुक्के मामले बहुत साल पहले हुए हैं उनके सम्बन्धमें जाँच करनेसे कोई लाभ न होगा। उन्होंने निर्णय दिया कि समितिकी जाँच अपेक्षाकृत हालकी घटनाओं तक ही सीमित रहेगी। इसका कारण यह है कि श्री गॉलेने १९०९ में एक विशेष जाँच की थी जिसमें उससे पूर्व किसानोंकी जो स्थिति थी उसकी जाँच-पड़ताल की गई थी। उन्होंने प्रस्ताव किया कि समिति केवल श्री गॉर्लेके बादकी स्थितियोंकी ही जाँच हाथमें ले। उन्होंने कहा: जाँच जहाँसे शुरू की जानी चाहिए उसके लिए मुझे यही काल उचित लगता है। दूसरा मुद्दा मैं यह प्रस्तुत करना चाहता हूँ कि कुछ घटनाएँ उन मामलोंसे सम्बन्धित हैं जिनपर देशको अदालतोंने फैसले दे दिये हैं। हमारा इन मामलोंपर पुनविचार करना व्यर्थ होगा। ये मामले अदालतोंमें सुने जा चुके हैं और तय किये जा चुके हैं; देशकी अदालतोंके फैसलोंपर पुनर्विचार करना समितिके विचार-क्षेत्र के अन्तर्गत नहीं आता। इसलिए जहाँतक इन मामलोंका सम्बन्ध है समिति केवल अदालती कागजातोंपर ही विचार कर सकती है, उनसे सम्बन्धित बाहरी तथ्योंपर नहीं।

श्री गांधीने कहा: चूँकि मैंने उन बयानोंको पेश किया है, इसलिए मैं उनके सम्बन्धमें कुछ कहना चाहता हूँ। मैं अध्यक्षके निर्णयका आदर करता हूँ; किन्तु मेरा खयाल यह है कि मेरा इन मामलोंको एक वक्तव्यके रूपमें रख देना आवश्यक था; ऐतिहासिक क्रमके साथ लोगोंको अपना दुखड़ा न कहने देना उनके साथ अन्याय होता। मैं नहीं चाहता कि समिति अदालती फैसलोंके मूलमें जाये; किन्तु मेरा खयाल है कि समितिको किसानोंकी पूरी गाथा सुननेका अवसर मिलना चाहिए।

अध्यक्षने कहा कि अदालती फैसलोंके झूठे तथ्योंके आधारपर दिये जानेके आरोपोंकी जाँच समिति नहीं कर सकती।

 
  1. १. सर फ्रेंक जॉर्ज स्लाई।